नोएडा- जहां एक ओर हजारों किसान MSP की गारंटी की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से प्रदर्शन कर रहे है. इस बीच शंभू बॉर्डर पर तनाव की खबरें भी सुनने को मिल रही है. हालांकि खबरें ये भी सामने आई है कि किसानों की ओर से पत्थरबाजी की गई है, अब इस मामले में किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान नेता केपी सिंह का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने किसानों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जो पत्थरबाजी पुलिस पर करें, या गुलेल चलाएं वो किसान हरगिज नहीं हो सकता है. इतना ही नहीं इसके साथ ही किसान नेता का कहना है कि भारत बंद का वो समर्थन नहीं करते है.
'पत्थरबाजी करने वाला किसान नहीं'
आपको बता दें किसान नेता केपी सिंह लगातार किसानों की मांग को उठाते रहते है लेकिन इस बीच उन्होंने पत्थरबाजी करने वाले किसानों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. केपी सिंह का हना है कि ये लोग किसानों की छवि को खराब कर रहे हैं, इससे मैं बेहद नाराज़ हूं. इसके साथ ही केपी सिंह ने केंद्री की मोदी सरकार ने किसान आयोग गठन की मांग की है. उनका कहना है कि किसान आयोग का जल्द से जल्द गठन हो. जिसमें अध्यक्ष व सदस्य किसान ही रखे जायें और किसान आयोग के माध्यम से ही किसानों की समस्यायों का समाधान हो. इतना ही नहीं उन्होंने भारत बंद को लेकर भी बड़ी बात कही है. उनका कहना है कि गांव किसान उन्नयन इस भारत बंद का समर्थन नहीं करता है.
16 फरवरी को भारत बंद का किया गया है आह्वान
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक ओर जहां आंदोलनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई हुई है, तो वहीं दूसरी ओर अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है, जिसके चलते नोएडा समेत कई जिलों में धारा-144 लागू कर दी गई है.
Noida: नोएडा के ट्रेड यूनियन, किसान संगठनों के भारत बंद ऐलान असर दिखाई देने लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद का ऐलान को लेकर 36 से ज्यादा संगठन जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में भारतीय किसान परिषद भी एनटीपीसी दफ्तर पर प्रदर्शन करेगा।
मजदूर संगठनों ने निकाला जुलूस
भारत बंद को सफल बनाने के लिए मजदूर संगठन सीटू समर्थन में सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। सीटू के कार्यकर्ता भंगेल में जुलूस निकाल कर की नारेबाजी। सयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज भारत बंद का ऐलान किया गया है। जिसके तहत भारी पुलिस बल नोएडा में चप्पे चप्पे पर तैनात है।
नोएडा में धारा 144 लागू
वहीं, किसानों के चक्का जाम को लेकर नोएडा में धारा 144 लागू किया गया है। नोएडा पुलिस ने आम लोगों को मेट्रो से जाने की अपील की है। चिल्ला बॉर्डर पर हल्की जाम की स्थिति ट्रेफिक पुलिस मुस्तैद है। नोएडा के दिल्ली से लगने वाले बॉर्डर पर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। डीसीपी नोएडा विद्या सागर मिश्र ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।
21 अगस्त को आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा भारत बंद का ऐलान किया गया है. समिति के इस राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर दिए गए फैसले के विरोध में किया जा रहा है. वहीं इस बंद का समर्थन आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के अलावा कई दूसरे संगठनों ने भी किया है. बहुजन समाज पार्टी ने भी इस बंद को अपना सपोर्ट दिया है. राजस्थान के SC/ST समूहों ने भी इस बंद को अपना समर्थन दे दिया है.
भारत बंद को लेकर पुलिस भी मुस्तैद
वहीं इस राष्ट्रव्यापी भारत बंद के मद्देनजर पुलिस ने भी बड़ी तैयारी कर ली है. सभी जिलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. ताकि किसी तरह की कोई गड़बड़ी ना हो. विरोध- प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह का तनाव ना हो, इसके लिए पुलिस की तैनाती बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं. भारत बंद के दौरान किसी तरह की हिंसा ना हो, इसे ध्यान में रखते हुए बड़े पुलिस अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तैयारियों का जायजा लिया. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश को खासतौर पर संवेदनशील माना गया है और यहां पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद का ऐलान
ये राष्ट्रव्यापी भारत बंद प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए उस फैसले के खिलाफ है. जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर ही सब-कैटेगिरी बनाने की इजाजत दी गई थी और इनमें उन लोगों को प्राथमिकता दी जानी है जिन्हें आरक्षण की वाकई जरूरत है, अब इस प्रदर्शन का मकसद इस फैसले का विरोध जताना है ताकि इसे वापस लिया जा सके.
क्या होगा खुला, क्या बंद
भारत बंद के दौरान आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस, हॉस्पिटल और मेडिकल फैसिलिटीज सुचारू तौर पर काम करती रहेंगी. साथ ही सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसी सक्रिय रहेंगी. इसके साथ ही देश भर में दवाइयों की दुकानें भी खुली रहेंगी. इसके अलावा सरकारी दफ्तर, बैंक, स्कूल-कॉलेज भी आमदिनों की तरह ही खुले रहेंगे और यहां कामकाज सामान्य तौर पर जारी रहेगा. बता दें कि इस बंद के दौरान क्या खुला रहेगा और क्या बंद रहेगा इस बारे में अभी तकसकोई आधिकारक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि भारत बंद का असर सार्वजनिक परिवहन सेवा पर पड़ सकता है. इसके अलावा निजी दफ्तर और कुछ जगहों पर बाजार भी बंद रहने की उम्मीद है.
दलित और आदिवासी संगठनों ने आरक्षण मुद्दे को लेकर बुधवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने विभिन्न मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है। इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग हैं। भारत बंद का असर के देश कई हिस्सों में यूपी से लेकर अन्य राज्यों में दिखने लगा है। भारत बंद का समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आरजेडी, चिराग पासवान की पार्टी ने बंद को समर्थन दिया है. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद, भारत आदिवासी पार्टी, साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में हैं.
बसपा ने किया समर्थन
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर बुधवार को किए गए 'भारत बंद' के आह्वान का समर्थन किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, " "बसपा भारत बंद के आह्वान का समर्थन करती है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र तथा इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दोनों समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।"
आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयासः अखिलेश
वहीं, अखिलेश यादव ने भी समर्थन करते हुए एक्स पोस्ट लिखा है कि ‘आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी। सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा। जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं।‘
आगरा में उपवर्गीकरण आरक्षण को लेकर जोरदार प्रदर्शन
आगरा में आरक्षण के विरोध में हजारों की संख्या में दलित हाथों में नीला झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, भारत बंद को लेकर पुलिस हाई अलर्ट मोड पर है। आरक्षण को लेकर पूर्व में सन 2018 2 अप्रैल को दलितों ने चक्का जाम किया था। आगरा में जगह-जगह आरक्षण बचाओ को लेकर दलितों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने जबरन बंद कराई दुकान। धनौली नारीपुरा से हजारों की संख्या में दलित समाज के लोगों ने जुलूस निकाला।
कोटे के भीतर कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन ने मांगों की एक सूची जारी की है। जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग की है। संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाएगा. SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है। इसके अलावा समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की भी मांग की जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का आह्वान किया है।
Noida: दलित संगठनों के भारत बंद के आह्वान पर नोएडा पुलिस अलर्ट मोड़ पर है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज और समावादी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता सड़क पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन का दावा है कि नोएडा में भारत का कुछ खास असर नहीं है। भारत बंद आह्वान को देखते हुए जॉइंट पुलिस कमिश्नर शिव हरी मीणा टीम के पैदल गस्त साथ कर रही हैं। इसके साथ ही भारी पुलिस बल के साथ नोएडा के भीड़भाड़ वाले बाजारों मे पैदल गस्त सीनियर अधिकारी कर रहे हैं। मेट्रो स्टेशन और बस स्टॉप की भी निगरानी रखी जा रही है।
बता दें कि आरक्षण को लेकर दलित संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। समाजवादी पार्टी, बसपा आजाद समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने बंद का समर्थन किया है। हालांकि नोएडा में कुछ जगहों पर कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन बाजार और दुकानें खुली हुई हैं।
गौरतलब है कि नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने आरक्षण सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है। अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग है। जिसको लेकर राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में दलित समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, कई राज्यों के कई बाजार पूरी तरह से बंद है। बिहार और झारखंड में प्रदर्शन उग्र होने की खबर है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने बुधवार (21 अगस्त) को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। इसका बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत का समर्थन कर रहे हैं। साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में दिख रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया, ऐसा कौन सा फैसला है, जिसके खिलाफ दलित संगठन देशभर में भारत बंद का ऐलान कर विरोध कर रहे है। साथ ही इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान क्या-क्या खुला रहेगा और क्या बंद रहेगा?
सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले का हो रहा है विरोध?
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर एक फैसला सुनाते समय कहा था कि
''सभी एससी और एसटी जातियां- जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।''
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला याचिकाओं पर सुनवाई में सुनाया था, जिन याचिकाओं में कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं।
भारत बंद वालों की क्या है मांग?
जानकारी के मुताबिक, भारत बंद बुलाने वाले दलित संगठनों की साफ शब्दों में मांग हैं कि सुप्रीम कोर्ट, कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले ले या फिर पुनर्विचार करे।
भारत बंद के दौरान क्या बंद रहेगा?
जानकारी के मुताबिक, देशव्यापी इस विरोध प्रदर्शन में रिपोर्ट लिखने तक किसी भी राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। हालांकि, पूरे देश में पुलिस-प्रशासन अलर्ट पर है। लेकिन ये कहा जा सकता है कि भारत बंद के दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। साथ ही विवाद खड़ा होने की स्थिती को देखते हुए कुछ जगहों पर निजी दफ्तर बंद किए जा सकते हैं।
भारत बंद का नहीं रहेगा इन सेवाओं पर असर
भारत बंद के दौरान अस्पताल और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं पर कोई असर नहीं होगा। साथ ही बैंक दफ्तर और सरकारी कार्यालय बंद रखने संबंधी अभी तक कोई आदेश सरकार की तरफ से नहीं आया है।
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