Lucknow: यूपी के मेरठ की हवा दिल्ली से भी अधिक जहरीली हो गई है। AQI का लेवल बढ़ाने के कारण अस्पतालों में अस्थमा, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बीमारियां बढ़ रही है, चिकित्सकों के मुताबिक इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर फेफड़ों पर होता है।
कोल्हू में पॉलिथीन में जलाने से बढ़ा प्रदूषण
बता दें कि यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत में गुड़ बनाने के कोल्हू में पॉलिथीन को जलाया जा रहा है। जिसके कारण कार्बन मोनोऑक्साइड व डीऑक्सी जैसी जहरीली गैसें उत्सर्जित होती है। जिसके कारण श्वास आदि से संबंधित बीमारियां होने की आशंका दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। यही नहीं शरीर में पहुंचने पर दिल, गुर्दे, लीवर और फेफड़ों को भी बड़े लेवल पर नुकसान पहुंच रही है।
वायु प्रदूषण फेफड़ों को पहुंचा रहा नुकसान
दरअसल प्रदूषण कणो से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है। इसका असर फेफड़े और आसपास की मांसपेशियों पर पड़ता है। वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती हैं। इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है। दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है । जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है , इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा बना रहता है। इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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