GREATER NOIDA: देविका गोल्ड होम्ज़ सोसाइटी में अव्यवस्थाओं का अंबार है। आलम ये है कि सोसाइटी में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। यहां बारिश के समय बेसमेंट में पानी भर जाता है। साथ ही बिल्डर द्वारा रजिस्ट्री भी अब तक नहीं की गई है। जिसे लेकर शुक्रवार को नेफोमा अध्यक्ष अन्नू खान की अगुवाई में देविका गोल्ड होम सोसाइटी के लोगों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ से मिलकर इसकी जानकारी दी।
सोसाइटी में फैली अव्यवस्थाओं से लोग परेशान
सोसाइटी में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं, जिसे लेकर लोगों का खासी नाराजगी है। इसके अलावा रजिस्ट्री लोगों के बड़ी सिरदर्दी बनी हुई है। लोगों की शिकायत पर सीईओ रवि कुमार एनजी ने ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव को निर्देश दिया कि जल्द इस मामले का संज्ञान लिया जाए और बिल्डर को इस संबंध में नोटिए भेजने को भी सीईओ ने कहा। साथ ही सीईओ ने आश्वासन दिया कि जल्द बिल्डर-बायर्स की मीटिंग कर समस्या का निराकरण कराया जाएगा।
मेंटिनेंस के बाद भी सुविधा नहीं
सोसाइटी निवासी दीपक दुबे ने बताया कि वो यहां पर पिछले 4 साल से रह रहे हैं। लेकिन बिल्डर ने जो भी सुविधाएं देने का वादा किया था, उसे नहीं दी जा रही हैं। जबकि मेंटिनेंस का रकम बराबर बिल्डर वसूल रहा है। यहां तक कि लोगों ने बिल्डर पर अनदेखी का आरोप लगाया, जिससे जर्जर हो रही बिल्डिंग से कभी भी हादसा हो सकता है।
सोसाइटी में क्या-क्या हैं समस्याएं?
GREATER NOIDA: प्राधिकरण बोर्ड ने किसानों की मांग पर फैसला सुना दिया है। शनिवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 131वीं बोर्ड बैठक में किसानों के पक्ष में फैसला लिया गया। औद्योगिक विकास आयुक्त और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO एनजी रवि कुमार, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ लोकेश एम और यमुना प्राधिकरण के एसीईओ कपिल सिंह, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ मेधा रूपम समेत बोर्ड के प्रतिनिधिगण भी शामिल हुए, इस बैठक में नियोजन की तरफ से तीनों प्रस्ताव रखे गये, जिस पर बोर्ड ने मुहर लगा दी है।
किसानों की मांग पर बोर्ड की मुहर
पहला, अब तक जो किसान प्राधिकरण से मिली आबादी की जमीन पर घर नहीं बना पाए हैं, वो किसान अब बिना विलंब शुल्क के निर्माण कर सकते हैं। हांलाकि प्राधिकरण ने शर्त रखी है कि अगर किसानों ने जमीन परिवार के बाहर बेची तो सामान्य भूखंडों की शर्तें लागू होंगी। दूसरा, किसानों को आवंटित आबादी भूखंडों के उप-विभाजन की न्यूनतम सीमा 40 मीटर कर दी गई है जो कि अब तक 120 मीटर थी। बशर्ते ये विभाजन मूल काश्तकार और उनके उत्तराधिकारी गण के बीच नियोजन के नियमों को ध्यान में रखते हुए ही किया जाएगा। तीसरा, ग्रामीण आबादी पर निर्माण की अधिकतम ऊंचाई नोएडा के समान करते हुए 11 मीटर से बढ़ाकर 15 मीटर कर दी गई है।
मतलब साफ है कि भविष्य में किसान आबादी के भूखंडों पर मूल किसान या फिर उनके उत्तराधिकारीगण को मिली जमीन पर भवन निर्माण करते समय विलंब शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन अगर किसान ने परिवार के बाहर किसी व्यक्ति को भूखंड बेचा तो सामान्य भूखंडों की शर्तें लागू होंगी।
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा वेस्ट के घर ख़रीदारों ने अपना विरोध प्रदर्शन 39वें सप्ताह रविवार को भी जारी रखा। भारी बारिश के बीच भी घर ख़रीदार खुले आसमान के नीचे विरोध जताया। विरोध कर रहे लोगों ने घरों की रजिस्ट्री और घरों के पज़ेशन देने की मांग की।
मांगे पूरी होने तक आंदोलन रहेगा जारी
आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे नेफोवा के वरिष्ठ सदस्य दीपांकर कुमार, इंद्रीश गुप्ता, रोहित मिश्रा, चंदन सिन्हा, अनुराग खरे और राजकुमार राठौड़ ने कहा कि हम शांतिपूर्ण आवाज़ उठाते रहेंगे जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस अमिताभ कांत के बनाए जी 20 में दिल्ली घोषणापत्र पूरी दुनिया सहमत हो गई। वहीं उनकी रुके हुए प्रोजेक्ट को लेकर दिए रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में क्यों डाला गया है? उसपर कोई निर्णय क्यों नहीं हो रहा है?
अमिताभ कांत कमेटी की रिपोर्ट तुरंत लागू करे सरकार
हर हफ़्ते विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहीं रंजना भारद्वाज, अनिल रात्रा, सुधांशु श्रीवास्तव, देवेश चहल, योगेश देवगन, अमरेंद्र ठाकुर, समीर भारद्वाज, हिमांश सक्सेना, दीपक गुप्ता, बिपिन, गंगेश सहित कई घर ख़रीदारों ने कहा कि सरकार पहले रिपोर्ट का बहाना बना रही थी। जब अमिताभ कांत कमेटी की रिपोर्ट आ गई तो उसे तुरंत लागू करने में क्या परेशानी आ रही है? सरकार अगर आज भी चाहे तो रीयल एस्टेट प्रोजेक्टों को शुरु कर घरों की रजिस्ट्री शुरु करवाकर राजस्व जुटा सकती है। बस सरकार को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की गलत जानकारियों से बचने की ज़रूरत है।
इन सोसाइटियों में घर खरीदने वाले हैं परेशान
विरोध प्रदर्शन में सुपरटेक इको विलेज 1, इको विलेज 2, इको विलेज 3, अजनारा होम्स, देविका गोल्ड होम्ज़, एक्वा गार्डेन, ऐपेक्स गोल्फ़ एवेन्यू,ऐश्वर्यम, कासा ग्रीन्स वन, सुपरटेक अपकाउंटी सहित कई सोसायटियों के घर ख़रीदारों ने हिस्सा लिया।
Greater Noida: अथॉरिटी अपने एरिया में 8 फुट ओवर ब्रिज बनाने जा रही है। जिसके लिए जगह चिन्हित कर ली गई है और तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इसमें सूरजपुर कलेक्ट्रेट और जगत फॉर्म के नाम शामिल हैं। बिल्ट ऑपरेटर ट्रांसफर के आधार पर इन एफओबी के बनने से पब्लिक को सड़क पार करने में बेहद आसानी हो जाएगी। इन फुट ओवर ब्रिज में एस्कलेटर के साथ लिफ्ट भी लगाएगी। अभी तक शहर में एफओबी नहीं बने हैं।
सड़क दुर्घटनाओं पर लगेगी लगाम
ग्रेटर नोएडा में अभी तक फुट ओवर ब्रिज नहीं बने हैं। पिछले कई सालों से लोग फुट ओवर ब्रिज की मांग की मांग कर रहे हैं। आलम ये है कि लोगों को जान जोखिम में डालकर सड़क पार करना पड़ता है। शहर में तमाम ऐसे स्थान हैं जहां कई बार सड़क पार करते वक्त लोग हादसे के शिकार हो जाते हैं। अब इसके बन जाने के बाद सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी।
इन स्थानों पर बनने जा रहे फुट ओवर ब्रिज
जानकारी के मुताबिक फुट ओवर ब्रिज बनाने के लिए जगह चिन्हित कर ली गई है। जिसमें सूरजपुर कलेक्ट्रेट के पास, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक मूर्ति गोल चक्कर, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निराला टाउनशिप के पास, सुपरटेक इकोविलेज वन हाउसिंग सोसायटी, ग्रेटर नोएडा के ओमेगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स, ग्रेटर नोएडा के कैलाश अस्पताल के सामने इन स्थानों का सर्वे करवाने के बाद इन्हें चिन्हित किया गया।
इन स्थानों पर भी FOB बनाने की भी मांग
शहर में सूरजपुर घंटा चौक गोलचक्कर के पास, चार मूर्ति गोल चक्कर के करीब समेत और कई स्थानो पर भी फुट ओवर ब्रिज बनाए जाने की मांग की जा रही है। एफओबी बनाए जाने की मांग लोग लंबे समय से करते आ रहे हैं। जिसकी शुरुआत अब सीईओ रवि कुमार एनजी के कार्यकाल में शुरू होने जा रही है।
Greater Noida: रुद्र बिल्डवेल बिल्डर मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को डबल झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिल्डर रुद्र बिल्डवेल की दो आवासीय परियोजनाओं के लिए शून्यकाल का लाभ देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण आवंटित जमीन का बड़ा हिस्से पर कब्जा देने में विफल रहा है। ये प्राधिकरण की गलती है ना की बिल्डर की कोई लापरवाही। इसलिए कोर्ट ने आवंटन की तारीख से अप्रैल 2023 तक शून्यकाल का लाभ, लीज रेंट और उस पर ब्याज नहीं लेने का आदेश दिया है।
यहां पढ़ें पूरा मामला
दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने रुद्र बिल्डवेल को सेक्टर-1 और सेक्टर-16 में जमीन आवंटित की थी। प्राधिकरण ने 18 अगस्त 2010 को शुभकामना बिल्डटेक के नेतृत्व वाले एक कंसोर्टियम को 81,800 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की थी। इसमें रुद्र बिल्डवेल भी शामिल था। मार्च 2011 में भूमि का उप-विभाजन किया गया। इसमें याचिकाकर्ता रुद्र बिल्डवेल कंपनी को 33,538 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई। कंपनी ने 39 करोड़ रुपए की कुल प्रीमियम राशि का 10 प्रतिशत भुगतान कर लीज करा ली।
दोबारा नक्शा पास करने के आदेश
जानकारी के मुताबिक कंपनी को आवंटित भूखंड के 13,500 वर्ग मीटर में अतिक्रमण था। जबकि प्राधिकरण ने 6,900 वर्ग मीटर पर अतिक्रमण बताया था। बिल्डर ने 6900 वर्ग मीटर पर अतिक्रमण बताया था। बिल्डर ने 6900 वर्गमीटर की सीमा तक शून्यकाल के लिए याचिका दायर की थी। अब कोर्ट ने प्राधिकरण को कानून के अनुसार मानचित्र को फिर से मान्य करने का आदेश दिया।
Greater Noida: उद्योग केंद्र-2, ईकोटेक थर्ड में छोटी और बड़ी मिलाकर सैकड़ों ईकाइयां संचालित हैं। यहां से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों का राजस्व मिलता है। लेकिन आलम ये है कि यहां फैक्ट्रियां के आस-पास बुरा हाल है। कहीं झाड़ियां, तो कहीं नाले, यहां तक कि सड़कों के चारों तरफ गंदे नाले के पानी बह रहे हैं। अगर आप बारिश में इस इलाके में आने को सोच रहे हैं तो आपको सड़कों पर तालाब बना मिलेगा। नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन (NEA) की तरफ से यहां की परेशानियों को लेकर सोमवार को मीटिंग बुलाई गई। एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मुकेश कक्कर की तरफ से सदस्यों की मीटिंग बुलाई गई। जिसमें प्राधिकरण की तरफ से वरिष्ठ प्रबंधक चेतराम सिंह और वरिष्ठ प्रबंधक प्रोजेक्ट मनोज कुमार शामिल हुए। इस दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने मौके पर जाकर अधिकारियों को यहां के हाल से अवगत करवाया।
सड़कों का खस्ता हाल
ईटोकेक थर्ड में सड़कों का बुरा हाल है। ज्यादातर सड़कें टूटी हुई हैं। जहां से ट्रक और उद्मियों के वाहन गुजरते हैं। इसके अलावा सड़क के चारों तरफ झाड़ियां उग आईं हैं। जहां जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। बारिश में अगर आप ग्रेटर नोएडा के उद्योग केंद्र दो के ईकोटेक थर्ड में आने की सोच रहे हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। क्योंकि बारिश के मौसम में सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं।
झाड़ियों में तब्दील हुए पार्क
कहने को तो ईकोटेक थर्ड में पार्क भी बनाए गये हैं। लेकिन इन पार्कों में बड़ी-बड़ी झाड़ियां हैं। जहां पर आसमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। साथ ही यहां पर साफ-सफाई के नाम पर भी कोटापूर्ति ही होती है। सड़कों और पार्कों का रख-रखाव किसके भरोसे है, इसका जवाबदेह भी कोई नहीं है।
दिखाने को बनाया गया पानी की टंकी
एनईए के सदस्यों का आरोप है कि ईकोटेक थर्ड में पानी का बिल तो बराबर आता है। लेकिन पानी की सप्लाई कहीं भी नहीं है। आलम ये है कि पानी की टंकी भी खाली ही रहती है। जब अधिकारियों के साथ पानी की टंकी को लेकर वहां कार्यकर्त कर्मचारी से पूछा गया कि टंकी में पानी कबसे नहीं भरा गया, तो उसने बताया कि दो महीने से मोटर खराब है। इसके अलावा जहां पर पानी की टंकी है, वहां देसी शराब के ठेके का खोका भी देखने को मिला। इसे देख वहां पहुंचे अधिकारियों के साथ एनईए के सदस्य भी हैरान हो गये। पूछने पर कहीं से कोई भी जवाब इस खोके के बारे में नहीं मिला।
अतिक्रमण से लोग परेशान
ईकोटेक थर्ड में छोटी और बड़ी दोनों तरह की ईकाइयां हैं। जिनके माल की सप्लाई ट्रकों से की जाती है। लेकिन इन ट्रकों को सड़कों पर ही पार्क किया जाता है। जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। एनईए के मेंबर ने बताया कि सड़कों पर ट्रकों के पार्क करने के मामले को लेकर कई बार झड़पें भी हो चकी हैं। इसके अलावा यहां एक और समस्या है, कहीं पर भी झुग्गियों में दुकानें खोल दी गईं हैं। इसके चलते सुरक्षा के साथ जाम की स्थिति बनी रहती है। इस मीटिंग में एनईए के तरफ से सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मुकेश कक्कर, अरविंद शर्मा, सुभाष, अजय कुमार, असीम खान, सुभाष चौहान, प्रवीण जैन, यशपाल जैन, सुरेश जैन और एसपी शर्मा आदि मौजूद रहे।
Greater Noida प्राधिकरण ने रोड, सीवर, नाली और जलापूर्ति से जुड़े 13 विकास कार्यों के लिए टेंडर निकाले हैं। एक महीने में टेंडर की प्रक्रिया को पूरा कर कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने निर्माण कार्यों को तेज गति से कराने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में प्राधिकरण के परियोजना विभाग ने कई कार्यों के लिए टेंडर निकाल दिए हैं।
इन कार्यों के लिए निकाले गये टेंडर
प्राधिकरण के ओएसडी हिमांशु वर्मा ने बताया कि ईकोटेक वन, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, कासना 06 प्रतिशत आबादी से उत्सर्जित होने वाले सीवेज को पंपिग कर एसटीपी तक पहुंचाने के लिए पंपिंग स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। जिसके लिए 4 करोड़ 26 लाख रुपए के टेंडर जारी किए हैं। ग्रेटर नोएडा के जोन एक के सेक्टरों और गांवों में सीवरेज सिस्टम के रख-रखाव के लिए 5 करोड़ 96 लाख का टेंडर निकाला गया है। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, नॉलेज पार्क वन, टू, थ्री, तुगलपुर, रामपुर, नवादा में तीन साल तक सीवरेज सिस्टम के रख-रखाव और संचालन के लिए 5.96 करोड़ रुपये के टेंडर निकाले गये हैं। सेक्टर म्यू टू, ज्यू टू, ओमीक्रॉन वन-A, ग्राम घोड़ी-बछेड़ा, इकोटेक 9, 10, 11 के अलावा ग्राम, सिरसा, लड़पुरा मायचा, सादोपुर और बादलपुर के आंतरिक सीवरेज सिस्टम का तीन साल तक अनुरक्षण कार्य के लिए भी टेंडर निकाले गये हैं। यहां रख-रखाव के लिए 5 करोड़ 32 लाख रुपये के टेंडर निकाले गये हैं। वहीं ग्रेटर नोएडा के सेक्टर टेकजोन 4, सेक्टर-1 में जलापूर्ति वितरण लाइन उपलब्ध कराने और बिछाने के लिए लगभग 1 करोड़ 67 लाख रुपये के टेंडर निकाले गये हैं। इस तरह कुल 13 कार्यों के लिए लगभग 30 करोड़ रुपये के टेंडर जारी किए गए हैं।
Greater Noida: लंबे समय से कर रहे कई मांगों को लेकर ग्रामीण नाराज हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सुनवाई होते नहीं देख ग्रामीणों ने अब अनोखे तरीके से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। तिलपता गांव के ग्रामीणों ने कई मसले को नहीं सुलझता देख फिर से प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
इन मांगों को लेकर लगाया जाम
तिलपता गांव के ग्रामीण लंबे समय से पानी की व्यवस्था, जलभराव, गंदगी समेत कई समस्याओं को लेकर अपना विरोध दर्ज कराते रहे हैं। अब प्राधिकरण की सुनवाई नहीं होता देख ग्रामीणों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने प्राधिकरण की सदबुद्धि के लिए रोड पर ही हवन करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों के हवन करने से तिलपता रोड पर लंबा जाम लग गया है। ग्रामीणों को रोड से हटाने के लिए भारी संख्या में सूरजपुर थाने की पुलिस मौजूद है। फिलहाल ग्रामीणों को समझाने का प्रयास पुलिस प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है।
Greater Noida: सोसाइटी के सीवर को शोधित करने के लिए मानकों के अनरूप सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण व संचालन न करने वाले 28 और बिल्डर सोसाइटियों को प्राधिकरण ने नोटिस जारी किया है। प्राधिकरण ने एक सप्ताह के अन्दर स्पष्टीकरण मांगा है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर लीज डीड की शर्तों के अनुरूप कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। बता दें इससे पहले प्राधिकरण ने 37 बिल्डर सोसाइटियों के लिए नोटिस जारी किए थे।
65 बिल्डरों को मिल चुका है नोटिस:
बता दें ग्रेटर नोएडा की अलग-अलग सोसाइटी के निवासियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार से शिकायतों की थी कि एसटीपी से शोधित किए बिना ही सीवरेज को नाले में बहाया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सर्वे में भी कई सोसाइटियों में बने एसटीपी मानकों के अनुरूप नहीं मिले। इनमें से कुछ एसटीपी मानकों के अनुरूप के अनुरूप बने नहीं हैं और कुछ का संचालन ठीक से नहीं हो रहा, जिसके चलते ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ आशुतोष द्विवेदी के निर्देश पर सीवर विभाग की तरफ से पूर्व में 37 बिल्डरों को नोटिस जारी किया गया था। अब 28 और बिल्डर सोसाइटियों के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
एक सप्ताह भीतर मांगा स्पष्टीकरण:
नोटिस में प्राधिकरण ने एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर लीज डीड की शर्तों के अनुरूप कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। एसीईओ आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि जिन बिल्डरों ने अपने रिहायशी प्रोजेक्ट में एसटीपी नहीं बनाए हैं, वे एसटीपी बनाकर शीघ्र चालू करें। जिन सोसाइटियों में बने हैं वे उनको नियमित रूप से संचालित करें। सीवर को शोधित करना अनिवार्य है। शोधित पानी को उद्यानीकरण में उपयोग करें एनजीटी की तरफ से भी इस बाबत सख्त आदेश दिए गए हैं। ऐसा न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इन सोसाइटियों पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बावजूद सुधार न हुआ तो एनजीटी के आदेशों के मद्देनजर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
सोसाइटी के निवासी लगातार कर रहे शिकायत:
बता दें कि ग्रेटर नोएडा में 20 हजार वर्ग मीटर या उससे अधिक एरिया पर बनने वाले सभी प्रोजेक्टों को अपना एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाना और उसे फंक्शनल रखना अनिवार्य है, लेकिन कई सोसाइटियों के निवासी प्राधिकरण से लगातार शिकायत कर रहे थे कि उनके यहां एसटीपी नहीं बने हैं। कुछ सोसाइटियों में एसटीपी बने हैं तो वह फंक्शनल नहीं हैं। अब प्राधिकरण ऐसे बिल्डरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
इन 28 बिल्डरों को जारी हुआ है नोटिस:
Greater Noida: प्राधिकरण ने बिल्डरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 28 बिल्डर को नोटिस जारी किया है। एसटीपी प्लांट नहीं चलाने पर बिल्डर के खिलाफ प्राधिकरण ने ये कार्रवाई की है। इसके पहले 20 दिसंबर को 37 सोसायटी में एसटीपी प्लांट नहीं चलाए जाने पर नोटिस भेजा गया था।
जुर्माने की तैयारी:
बता दें कि ग्रेटर नोएडा में 20 हजार वर्ग मीटर या उससे अधिक एरिया पर बनने वाले सभी प्रोजेक्टों को अपना एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाना और उसे फंक्शनल रखना अनिवार्य है, लेकिन कई सोसाइटियों के निवासी प्राधिकरण से लगातार शिकायत कर रहे थे कि उनके यहां एसटीपी नहीं बने हैं। कुछ सोसाइटियों में एसटीपी बने हैं तो वह फंक्शनल नहीं हैं। अब प्राधिकरण ऐसे बिल्डरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। ग्रेनो प्राधिकरण ने कहा कि अगर बिल्डर एसटीपी प्लांट चालू नही करते हैं तो प्राधिकरण जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है।
इसके पहले भी बिल्डरों को मिल चुका है नोटिस:
बता दें ग्रेटर नोएडा की अलग-अलग सोसाइटी के निवासियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार से शिकायतों की थी कि एसटीपी से शोधित किए बिना ही सीवरेज को नाले में बहाया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सर्वे में भी कई सोसाइटियों में बने एसटीपी मानकों के अनुरूप नहीं मिले। इनमें से कुछ एसटीपी मानकों के अनुरूप के अनुरूप बने नहीं हैं और कुछ का संचालन ठीक से नहीं हो रहा, जिसके चलते ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ आशुतोष द्विवेदी के निर्देश पर सीवर विभाग की तरफ से पूर्व में 37 बिल्डरों को नोटिस जारी किया गया था। अब 28 और बिल्डर सोसाइटियों के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
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