Noida: कई दिनों से धरने पर बैठे 105 गावों के किसानों ने मांगे पूरी ने होने पर दादरी एनटीपीसी और नोएडा प्राधिकरण की शव यात्रा निकालने की चेतावनी दी है। किसान नेता सुखबीर खलीफा ने शव यात्रा निकालने का ऐलान किया है। सुखबीर खलीफा ने कहा कि किसानों की मांगें नहीं माने जाने पर हजारों की तादात में किसान एनटीपीसी भवन के सामने एकत्रित और इसके बाद शव यात्रा निकाली जाएगी। किसानों ने कहा कि प्राधिकरण ने जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो सेक्टर 24 एनटीपीसी भवन के सामने से होकर नोएडा प्राधिकरण तक शव यात्रा निकाली जाएगी।
एनटीसीपी के बाहर कई दिनों जारी है धरना
काफी दिनों से किसान नोएडा प्राधिकरण और एनटीपीसी भवन के बाहर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान बढ़ा हुआ मुवावजा, स्थानीय लोगो को रोजगार, दस पर्सेंट का प्लॉट, आबादी का पूर्ण निस्तारण स्वास्थ सुविधाएं को लेकर धरने पर बैठे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी ये मांगें पूरी नहीं होगी तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। प्रशासन को किसानों की मांगों को मानना ही होगा।
MSP को लेकर किसानों का आंदोलन दिन पर दिन उग्र होता जा रहा है. किसानों ने आर-पार की लड़ाई को लेकर जमकर कमर कस ली है. जिसके चलते हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. जहां एक ओर किसानों के इस ऐलान के बाद सरकार और प्रशासन हाथ पांव फूलने लगे हैं और प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए प्लान भी तैयार कर लिया है. जिसके चलते हरियाणा पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर दी है और जनता से अपील की है कि लोग 13 फरवरी को राज्य के मुख्य मार्ग का उपयोग अति आवश्यक स्थिति में ही करें और अति आवश्यक होने पर ही पंजाब की यात्रा करें. साथ ही प्रशासन द्वारा हरियाणा से पंजाब की ओर जाने वाले सभी मुख्य मार्गों पर यातायात बाधित होने की भी संभावना जताई जा रही है .
पुलिस ने बताया कहां से मिलेगी जानकारी
हरियाणा की एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने बताया कि ट्रैफिक की वर्तमान स्थिति जानने के लिए हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- @police_haryana, @DGPHaryana और Haryana Police फेसबुक पेज को फॉलो करें. दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर यातायात बाधित होने की स्थिति में चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को डेराबस्सी, बरवाला/रामगढ़, साहा, शाहबाद, कुरूक्षेत्र के रास्ते अथवा पंचकूला, एनएच-344 यमुनानगर इंद्री/पिपली, करनाल होते हुए दिल्ली जाने की सलाह दी गई है. इसी प्रकार, दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले यात्री करनाल, इंद्री/पिपली, यमुनानगर, पंचकूला होते हुए या फिर कुरूक्षेत्र, शाहबाद, साहा, बरवाला, रामगढ़ होते हुए अपने गन्तव्य पर पहुंच सकते हैं.
हरियाणा के करीब 12 जिलों में लगी धारा 144
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह ने लोगों से किसी भी आपात परिस्थिति में डायल-112 पर संपर्क करने की अपील करते हुए कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने, किसी भी तरह की हिंसा को रोकने और ट्रैफिक सुगम बनाने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. इस संबंध में सभी रेंज एडीजीपी/आईजीपी, पुलिस आयुक्त और जिलों के एसपी को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गए हैं. प्रभावित जिलों खासकर अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, सिरसा में ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था की गई है. वहीं राज्य के अंदर अन्य सभी मार्गों पर ट्रैफिक की स्थिति सामान्य रहेगी. हरियाणा के कम से कम 12 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में भी धारा 144 लागू है। जिसका आदेश पंचकूला के डीसीपी सुमेर सिंह प्रताप ने जारी किए हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थान पर एकसाथ पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध रहेगा.
13 फरवरी तक इंटरनेट सेवाएं बाधित
हरियाणा के गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर जानकारी दी है कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और पुलिस जिला डबवाली में 11 फरवरी सुबह 6 बजे से लेकर 13 फरवरी रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, बल्क एसएमएस और डोंगल सर्विस ठप रहेंगी. पर्सनल एसएमएस, बैकिंग एसएमएस, ब्रॉडबैंड व लीज लाइंस पहले की तरह चलती रहेंगी और पैदल या ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों के साथ जलूस निकालने, प्रदर्शन करने, मार्च करने, लाठी, डंडा या हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं हरियाणा और पंजाब के करीब 23 किसान संगठनों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक उनका आंदोलन नहीं रुकेगा.
12 फरवरी को दूसरे दौर की बैठक
किसान संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल 12 फरवरी को चंडीगढ़ सेक्टर 26 स्थित महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में केंद्र सरकार के साथ दूसरे दौर की वार्ता करेगा. किसानों और सरकार के बीच पहले दौर की वार्ता 8 फरवरी को यहीं पर हुई थी. दूसरे दौर की बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय मौजूद रहेंगे.
प्रदर्शन, बंद और चक्का जाम करना कोई आसान नहीं होता है. इस तरह के प्रदर्शनों में जहां एक ओर आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी में उथल-पुथल हो जाती है, वहीं दूसरी ओर इन प्रदर्शनों का हिस्सा बनने वालों की जिंदगी में भी कुछ कम मुश्किलें नहीं आती हैं. बता दें कि पिछले डेढ़ दशक में दुनियाभर में पहले से तीन गुना ज्यादा प्रदर्शन हुए हैं. इनमें से 23 प्रतिशत प्रदर्शन ऐसे थे, जो तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक चले, लेकिन ये सारे ही प्रदर्शन सफल नहीं होते हैं, बल्कि इसका एक सेट पैटर्न है. वहीं शोध की मानें तो कुछ खास तरीके और संख्या के साथ हुए प्रदर्शन ही अपनी मांगें पूरी करवा पाते हैं. आज हम इन प्रदर्शनों की बात इसलिये कर रहे हैं क्योंकि एक बार फिर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन शुरू हो चुका है. दो साल पहले कृषि कानून निरस्त कराने में भी इस प्रोटेस्ट ने बड़ी भूमिका निभाई थी. किसानों के दिल्ली कूच करने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, कि किसानों का ये दूसरा आंदोलन कामयाब होगा भी या नहीं.
ग्लोबल प्रोटेस्ट ट्रैकर से की जा रही निगरानी
यहां हम आपको एक वेबसाइट के बारे में बताते हैं, जिसका नाम है ग्लोबल प्रोटेस्ट ट्रैकर जो कि दुनिया भर में हो रहे प्रदर्शनों पर नज़र रखती है. इस वेबसाइट के मुताबिक साल 2017 से अब तक 400 से ज्यादा ऐसे प्रदर्शन हुए, जिन्हें काफी बड़ा माना जा सकता है, इनमें से 23 प्रतिशत विरोध 3 महीने या उससे ज्यादा चले. भारत का नाम भी इसमें शामिल है। बीते समय में यहां कई बड़े एंटी-गवर्नमेंट प्रोटेस्ट हुए, जैसे शाहीन बाग और कृषि कानून पर और अब एक बार फिर किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमा हैं. डेढ़ दशक में 3 हजार से ज्यादा प्रोटेस्ट से पिछले 15 सालों में कई बदलाव हुए. जाहिर है कि बदलाव होंगे तो बहुत लोग ऐसे भी होंगे, जो उससे सहमत नहीं रहेंगे। यही लोग विरोध के लिए निकल पड़ते हैं. वर्ल्ड प्रोटेस्ट- ए स्टडी में कहा गया है कि साल 2006 से 2020 के दौरान 101 देशों में 3 हजार से ज्यादा विरोध हुए.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन को मिलता है लोगों का सहयोग
आए-दिन होने वाले प्रदर्शनों को लेकर सर्वे कहते हैं कि इनमें से बहुत कम ही ऐसे होते हैं, जिनकी मांगे पूरी हो जाएं। इंटरनेशनल सेंटर ऑफ नॉनवायलेंट कन्फ्लिक्ट के अनुसार ऐसे प्रोटेस्ट की सफलता की गारंटी ज्यादा रहती है, जिनमें हिंसा न हो, शांति से किए जा रहे धरना प्रदर्शनों के सफल होने की गुंजाइश बाकियों से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा होती है. वहीं हिंसक प्रदर्शन अक्सर कुचल दिए जाते हैं या फिर प्रदर्शनकारियों में ही दो फांक हो जाती है.
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