Noida: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान नेता युद्धवीर सिंह को हिरासत में लेने सहित अन्य मांगों को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपर जिलाधिकारी नितिन मदान को ज्ञापन दिया। ज्ञापन के माध्यम से बताया कि हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कॉरपोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने लंबा धरना दिया गया था। दिल्ली पुलिस सहित केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा कई किसान नेताओं को फंसाने के लिए केस दर्ज कर जानबूझकर किए गए अनुचित कार्यों की ओर खींचना चाहते हैं।
9 दिसंबर को हुआ था समझौता, फिर भी उत्पीड़न जारी
ज्ञापन में आगे लिखा है ' केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित 9 दिसंबर 2021 के लिखित पत्र के आधार पर एसकेएम के साथ एक समझौता किया था। जिसके आधार पर किसान संघर्ष को स्थगित कर दिया गया था। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था (पैरा : 2 ए और बी) कि उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह सहमत हैं। साथ ही, पत्र में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी एजेंसियों और प्रशासन ने किसानों के संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी। अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसानों के संघर्ष के खिलाफ ऐसे सभी मामलों को वापस लेने का अनुरोध करने की बात कही थी।
गृह मंत्रालय ने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने का दिया था प्रस्ताव
राज्यसभा में प्रश्न संख्या 1158, दिनांक 19.12.2022 के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था, ''गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के खिलाफ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव आया है और गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा, रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया है।"
किसान नेताओं को किया जा रहा है गिरफ्तार
लगभग दो वर्षों के बाद, युद्धवीर सिंह, जो एसकेएम के राष्ट्रीय परिषद सदस्य और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के महासचिव हैं, को 29 नवंबर 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह दावा करते हुए कि वे गिरफ्तार कर लिया गया कि वह 2020-21 के दिल्ली में ऐतिहासिक किसान संघर्ष से संबंधित मामले में आरोपी हैं। इस कार्रवाई के कारण अंतर्राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया जाने वाली उनकी उड़ान छूट गई। हालांकि, बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
किसान नेताओं को कोर्ट के लगाने पड़ रहे चक्कर
राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में आगे लिखा है कि ' हरियाणा के रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को दिल्ली पुलिस के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन से 22 नवंबर 2023 को एक नोटिस मिला था। जिसमें उन्हें एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। किसान आंदोलन के विरोध के मद्देनजर दिल्ली पुलिस को नोटिस वापस लेने की सार्वजनिक रूप से घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी तरह 7 दिसंबर 2022 को बीकेयू के प्रभारी अधिकारी अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोक दिया गया। पंजाब के एसकेएम नेता सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में दिल्ली के तीस हजारी और पटियाला हाउस अदालतों में अदालती प्रक्रियाओं का सामना कर रहे हैं।
किसान नेता युद्धवीर सिंह को हिरासत में लिया गया
हाल ही में युद्धवीर सिंह को हिरासत में ले लिया गया है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली संघर्ष से संबंधित मामलों में एसकेएम नेताओं के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया है। एसकेएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गृह मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी है। यदि हां, तो लोकतंत्र में पारदर्शिता बरतते हुए सभी लुक आउट नोटिसों को सार्वजनिक करें।
केंद्र और राज्य सरकार समझौते का कर रही उल्लंघन
एसकेएम किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने के किसी भी कदम को नरेंद्र मोदी सरकार और एसकेएम के बीच हुए समझौते का खुला उल्लंघन मानती है। इस प्रकार यह केंद्र सरकार और उसके लोगों द्वारा विश्वास का उल्लंघन है। किसानों का यह संघर्ष घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट पूंजी के तहत कृषि के कॉर्पोरेटीकरण को लागू करने के खिलाफ किसानों और खेत मजदूरों और ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष की तरह एक देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था और केंद्र सरकार को तीन कॉर्पोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को वापस लेने के लिए मजबूर करने में सफल रहा।
कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करते रहेंगे
दो साल के ऐतिहासिक संघर्ष के बाद, केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट ताकतों की सेवा करने के उद्देश्य से, हाल ही में 'न्यूज़क्लिक पर दर्ज एफआईआर' में किसानों के संघर्ष के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी, विदेशी और आतंकवादी ताकतों द्वारा वित्त पोषित बताया गया है। एसकेएम ऐसे निराधार आरोपों का पुरजोर खंडन करता है और इसे भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर और मीडिया पर हमला मानता है। हम दृढ़तापूर्वक यह आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के जन प्रतिरोध को कमजोर करने के लिए उच्च स्तरीय साजिश की जा रही है।
नौकरशाहों पर की जाए कड़ी कार्रवाई
हम केंद्र सरकार को प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहने और एसकेएम के साथ लिखित आश्वासनों का उल्लंघन न करने का निर्देश देने के लिए भारत के राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं। हम आपसे केंद्र सरकार को उन नौकरशाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करते हैं, जिन्होंने प्रतिशोध की भावना से काम किया है और किसान कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों में हेरफेर करने की साजिश रची है।
इन लोगों ने मिलकर सौंपा ज्ञापन
राजे प्रधान पवन खटाना, रॉबिन नागर, बेली भाटी, सुनील प्रधान, अनित कसाना, अमित डेढा, भगत सिंह, तुगलपुर, जरीफ, शरीफ, इंद्रीश तुगलपुर, विनोद पंडित, श्रीचंद तवर, अजीत गैराठी, पवन नागर, अजीपाल नंबरदार, योगेश, संदीप खटाना, शमशाद सैफी, पिनटु खली, रामनिवास, अवधेश, प्रेमपाल, बोबी, महेश चपराना, अमन संदीप चपराना, राजू चौहान, ललित चौहान, सोनू मंगरौली, भूषण छपरौली, बिननू भाटी, धर्मपाल सवामी, लाला यादव, सुभाष सिलारपुर आदि सैकड़ो किसानों की मौजूदगी में ज्ञापन सौंपा गया।
भारतीय किसान यूनियन ने आज गौतम बुद्ध नगर के जिला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर अपनी मांगो को रखते हुए उनके निवारण सुनीश्चित करने को कहा.
Greater Noida: भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष पवन खटाना (BKU - संचालन पश्चिम उत्तर प्रदेश) ने मीटिंग में जिला अधिकारी के सामने किसानों की वेदना प्रकट करते हुए कहा कि सरकार द्वारा किए गए प्लॉट वितरण के वादे को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. युवाओं को रोजगार दिलाने की कोई सार्थक पहल नहीं हुई है और ना तो गांवों का शहर के तर्ज पर विकास हुआ.
शासन को भेजा गया प्रस्ताव-सीईओ
किसानों के सभी मुद्दों को गंभीरता से सुनने के बाद सीईओ अरुणवीर सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे का निवारण हर संभव करने का प्रयास है। प्रशासन की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को पास करके शासन को भेज दिया गया है, जिस पर सरकार के निर्देश पर अगली होने वाली बैठक में प्रस्तावना के उपर ठोस कदम उठाए जाएंगे.
15 फरवरी तक दिया जाएगा पत्र-सीईओ
मीटिंग में यह भी बताया गया कि 2001 से पहले खरीदी गई जमीन के किसानों को 7% के प्लॉट का लेटर 15 फरवरी तक दे दिया जाएगा. इंटरचेंज अट्टा जंगनपुर से जुड़े मुआवजे का भी जल्द वितरण कर दिया जाएगा. युवाओं को रोजगार अधिनियम के अंतर्गत रोजगार मेला लगाकर नौकरी की दुविधाओं को खतम करने की कोशिश की जाएगी. शहरों के तर्ज पर विकास के कार्य करते हुए गांवों को भी स्मार्ट विलेज के रूप में स्थापित किया जाएगा. डीएम राजेन्द्र भाटी सरकार और प्रशासन की तरफ से इस मीटिंग की अगुवाई करते नजर आए.
नोएडा- जहां एक ओर हजारों किसान MSP की गारंटी की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से प्रदर्शन कर रहे है. इस बीच शंभू बॉर्डर पर तनाव की खबरें भी सुनने को मिल रही है. हालांकि खबरें ये भी सामने आई है कि किसानों की ओर से पत्थरबाजी की गई है, अब इस मामले में किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान नेता केपी सिंह का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने किसानों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जो पत्थरबाजी पुलिस पर करें, या गुलेल चलाएं वो किसान हरगिज नहीं हो सकता है. इतना ही नहीं इसके साथ ही किसान नेता का कहना है कि भारत बंद का वो समर्थन नहीं करते है.
'पत्थरबाजी करने वाला किसान नहीं'
आपको बता दें किसान नेता केपी सिंह लगातार किसानों की मांग को उठाते रहते है लेकिन इस बीच उन्होंने पत्थरबाजी करने वाले किसानों पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. केपी सिंह का हना है कि ये लोग किसानों की छवि को खराब कर रहे हैं, इससे मैं बेहद नाराज़ हूं. इसके साथ ही केपी सिंह ने केंद्री की मोदी सरकार ने किसान आयोग गठन की मांग की है. उनका कहना है कि किसान आयोग का जल्द से जल्द गठन हो. जिसमें अध्यक्ष व सदस्य किसान ही रखे जायें और किसान आयोग के माध्यम से ही किसानों की समस्यायों का समाधान हो. इतना ही नहीं उन्होंने भारत बंद को लेकर भी बड़ी बात कही है. उनका कहना है कि गांव किसान उन्नयन इस भारत बंद का समर्थन नहीं करता है.
16 फरवरी को भारत बंद का किया गया है आह्वान
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक ओर जहां आंदोलनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई हुई है, तो वहीं दूसरी ओर अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है, जिसके चलते नोएडा समेत कई जिलों में धारा-144 लागू कर दी गई है.
किसान आंदोलन से सरकार को जल्द छुटकारा मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जहां एक ओर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार बीच का रास्ता निकालकर इस आंदोलन को समाप्त करना चाहती है। इसी के चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के एमएसपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया है। जिसको लेकर किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है ’’केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी पर अध्यादेश लाने की योजना बना रही है, लेकिन किसान C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।’’
MSP की गारंटी चाहते हैं किसान
किसानों के अनुसार उनके सामने मक्का, कपास, अरहर/तूर, मसूर और उड़द समेत पांच फसलों की खरीद को लेकर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव रखा गया है। किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा ’कि बीजेपी ने खुद 2014 के चुनाव में अपने घोषणापत्र में इसका वादा किया था और स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को C2+50% के आधार पर एमएसपी देने का सुझाव दिया था और इसी आधार पर तमाम फसलों पर किसान एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। साथ ही कहा कि अगर मोदी सरकार बीजेपी के वादे को लागू नहीं कर पा रही है, तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं।’
केंद्रीय मंत्रियों का MSP पर रुख साफ नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि केंद्रीय मंत्री यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं कि उनके द्वारा प्रस्तावित MSP A2+FL+50% पर आधारित है या C2+50% पर। चार बार चर्चा होने के बाद भी चर्चा में कोई पारदर्शिता नहीं है। SKM ने केंद्रीय मंत्रियों से मोदी सरकार ऋण माफी, बिजली का निजीकरण नहीं करने, सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10000 रुपये मासिक पेंशन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की भी मांग की है।
सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में उतरेगा
किसान मोर्चा की अगली मीटिंग 21-22 फरवरी को करेगा, जिसमें आगे की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। किसान नेता गुरनाम सिंह चाढ़ूनी ने कहा ''कि सरकार के पास 21 फरवरी तक का समय है। सरकार को सोचना चाहिए कि तिलहन और बाजरा खरीद के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जैसे उन्होंने दालों, मक्का और कपास का जिक्र किया। उन्हें इन दोनों फसलों को भी शामिल करना चाहिए। अगर इन दोनों को शामिल नहीं किया गया तो हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा। साथ ही हमने फैसला लिया कि अगर 21 फरवरी तक सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा.''
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