Greater Noida: प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्त रुख अपनाया है। प्रदूषण बोर्ड ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण फैलाने के 9 मामले में 19 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिसरख में जस्ट क्वालिटी कंक्रीट आरएमसी प्लांट पर 7.05 लाख का जुर्माना लगाने के साथ ही प्लांट बंद करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, नोएडा के आठ संस्थानों पर 12.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इन संस्थानों पर लगाया गया जुर्माना
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्कर्ष शर्मा ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण के दो ठेकेदारों पर सेक्टर-64 में पार्क की बाउंड्रीवाल के निर्माण, सेक्टर-67 में हल्दीराम के सामने नाला निर्माण में प्रदूषण फैलाने पर जुर्माना लगाया गया है। वहीं, सेक्टर-128 में महागुन मैनोरिएल ग्रुप हाउसिंग, जेएमसी प्रोजेक्ट के कल्पतरू विस्टा प्रोजेक्ट पर भी जुर्माना लगाया गया है। इसी तरह सेक्टर-65 में भूखंड सी-108, सेक्टर-40 में ई-24, सेक्टर-64 में बी-120, सेक्टर-67 में बी-127 भूखंड पर भी बिल्डिंग मेटेरियल खुले में छोड़ने पर जुर्माना लगाया गया है।
नोएडा प्राधिकरण ने भी लगाया जुर्माना
इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण ने भी प्रदूषण फैलाने वालों पर भी कार्रवाई की है। प्राधिकरण ने 6 संस्थानों के खिलाफ 3.40 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। इसके अलावा अलग-अलग इलाकों में पानी का छिड़काव भी नोएडा प्राधिकरण ने कराया। सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, मलबा उठाने, 18 टैंकर्स से पेड़ों को धोने का काम भी किया गया। 38 एंटी स्मॉग गन का उपयोग कर हवा में मौजूद धूल के कणों को भी हटाने के लिए किया जा रहा है।
Noida: दीपावली से पहले इस बार भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों के सांसों पर प्रदूषण का ग्रहण लगने लगा है। ग्रैप सिस्टम लागू होने के बाद भी ग्रेटर नोएडा और नोएडा की हवा काफी प्रदूषित हो गई है। रविवार को पहली बार दोनों शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में 300 के पार पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वायु प्रदूषण हवा थमने और पराली के धुएं की वजह से बढ़ा है। अधिकारियों के मुताबिक तीन दिनों तक वायु प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इस दौरान ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 400 के पार पहुंचने की आशंका जताई है।
ग्रेनो वेस्ट में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा
बता दें कि रविवार की सुबह नोएडा में लोगों की नींद हवा में घुले प्रदूषण के साथ खुली। पूरे शहर में दोपहर तक धूल और धुएं की परत की छाई रही। दोपहर बाद हवा चलने पर मामूली राहत मिली। शाम पांच बजे सेक्टर-116 में एक्यूआई 361 रिकॉर्ड हुआ। वहीं सेक्टर-62 में भी एक्यूआई 300 रिकॉर्ड हुआ। वहीं, ग्रेनो के नॉलेज पार्क तीन और ग्रेनो वेस्ट के नॉलेज पार्क 5 में लगी वायु प्रदूषण मॉनिटरिंग स्टेशन में रविवार को ग्रेनो का एक्यूआई 363 और ग्रेनो वेस्ट का एक्यूआई 344 था।
सड़कों पर उड़ रही धूल जगह-जगह जल रहा कूड़ा
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी हिदायत के बाद भी ग्रेटर नोएडा में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से सड़कों पर धूल उड़ रही है।जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है। धूल उड़ने वाली जगहों पर पानी का छिड़काव भी नहीं किया जा रहा है।
Lucknow: यूपी के मेरठ की हवा दिल्ली से भी अधिक जहरीली हो गई है। AQI का लेवल बढ़ाने के कारण अस्पतालों में अस्थमा, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बीमारियां बढ़ रही है, चिकित्सकों के मुताबिक इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर फेफड़ों पर होता है।
कोल्हू में पॉलिथीन में जलाने से बढ़ा प्रदूषण
बता दें कि यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत में गुड़ बनाने के कोल्हू में पॉलिथीन को जलाया जा रहा है। जिसके कारण कार्बन मोनोऑक्साइड व डीऑक्सी जैसी जहरीली गैसें उत्सर्जित होती है। जिसके कारण श्वास आदि से संबंधित बीमारियां होने की आशंका दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। यही नहीं शरीर में पहुंचने पर दिल, गुर्दे, लीवर और फेफड़ों को भी बड़े लेवल पर नुकसान पहुंच रही है।
वायु प्रदूषण फेफड़ों को पहुंचा रहा नुकसान
दरअसल प्रदूषण कणो से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है। इसका असर फेफड़े और आसपास की मांसपेशियों पर पड़ता है। वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती हैं। इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है। दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है । जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है , इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा बना रहता है। इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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