केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश कर दिया है. इस बिल के पेश होते ही विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा काटते हुए इस बिल को असंवैधानिक करार दे दिया. राजनीतिक दलों की मांग पर अब इसे जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के पास भेजने का प्रस्ताव रखा गया है. इस बिल को नया नाम भी दिया गया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अब इस विधेयक का नाम ‘यूनाइटेड वक्फ एक्ट मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट-1995 यानी कि ‘उम्मीद’ रखा गया है. उम्मीद करता हूं कि संसद सदस्य इस विधेयक के प्रावधानों को समझकर समर्थन करेंगे. वहीं इस बिल को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गुरुवार को वक्फ बोर्ड के संसद में प्रस्तुत नए संशोधित बिल पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है

"संशोधन पारित होने पर एक कलक्टर राज अस्तित्व में आएगा"
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इन संशोधनों द्वारा सरकार वक्फ की संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करना आसान हो जाए. नया संशोधन पारित हो जाने पर एक कलक्टर राज अस्तित्व में आएगा. यह फैसला करना कि कौन सी संपत्ति वक्फ है और कौन सी वक्फ नहीं है, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम नहीं होगा, बल्कि स्वामित्व के सिलसिले में कलक्टर का फैसला अंतिम होगा. उन्होंने कहा कि पहले यह अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल को था, वक्फ ऐक्ट में किया जाने वाला प्रस्तावित संशोधन भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है, जो भारतीय संविधान की धारा 14, 15 अऔर 25 का उल्लंघन है. संशोधन न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी और यह संशोधन पक्षपात करने वाला भी है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

सरकार का यह फैसला धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप- मदनी
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वक्फ मुसलमानों के महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्यों में शामिल है. वक्फ ट्रिब्यूनल समाप्त करके कलक्टर के पास अधिकार दिए जाने से भारत की न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी और कलक्टर राज का आरंभ होगा. वक्फ द्वारा प्राप्त होने वाले धन को सरकार मुसलमानों में वितरित करेगी, सरकार का यह फैसला धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है, जो मुसलमानों को स्वीकार नहीं है. मौलाना मदनी ने आगे कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मामला नहीं है, बल्कि देश के संविधान, नियम और धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा है, यह बिल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है.जब से यह सरकार आई है, विभिन्न हथकंडों और बहानों से मुसलमानों को अराजकता और भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है, जिससे हमारे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है, हालांकि सरकार यह बात भलीभांति जानती है कि मुसलमान हर नुकसान सह सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता.

वक्फ में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों?- वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में मंदिर बोर्ड का गठन किया गया. क्या कोई गैर हिंदू इसका सदस्य हो सकता है. फिर वक्फ में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों? ये तो आस्था और धर्म पर हमला है. अभी मुसलमानों पर हमला हो रहा है कल ईसाई और जैन समाज पर होगा.

संविधान को रौंदा जा रहा है- नदवी
समाजवादी पार्टी ने भी इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोला. सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी ने कहा कि मुसलमानों के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है? संविधान को रौंदा जा रहा है. ये सरकार बहुत बड़ी गलती करने जा रही है, जिसका खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा. अगर ये कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे. कहीं ऐसा नहीं हो कि लोग दोबारा सड़कों पर आ जाएं.