मोदी कैबिनेट ने बुधवार को देश में ‘एक देश एक चुनाव’ को मंजूरी दे दी। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चेयरमैन बनाकर एक कमेटी बनाई गई थी। बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने अपनी रिपोर्ट मोदी कैबिनेट को दी थी, जिसके बाद उसे मंजूर कर दिया गया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?

देश में वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाई लेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया गया है। 1951 से 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। हम अगले महीनों में इसपर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। 'एक देश एक चुनाव' पर समिति ने 191 दिन तक काम किया और 21,558 लोगों से राय ली। 80% लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें 47 में से 32 राजनीतिक दल भी शामिल हैं। समिति ने पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्तों और राज्य चुनाव आयुक्तों से भी बात की।

दो चरणों में होंगे चुनाव

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आगे बताया कि 'एक देश एक चुनाव' दो चरणों में होगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव और दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव यानी कि पंचायत और नगरपालिका के चुनाव होंगे। राजनीति और कानून के जानकारों का कहना है कि अब केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लाएगी। आपको बता दें, ये संविधान संशोधन वाला बिल है और इसके लिए राज्यों की सहमति भी जरूरी है। भारतीय जनता पार्टी ने साल 2024 के आम चुनाव में 'एक देश एक चुनाव' का वादा किया था।

वन नेशन वन इलेक्शन कैसे होता है लागू?

'एक देश एक चुनाव' को सरल शब्दों में समझें, तो एक ही समय में केंद्र और राज्य के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए सभी भारतीय लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान करेंगे। इसके लागू होते ही नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी साथ में ही होंगे। मौजूदा समय में केंद्र सरकार का चयन करने के साथ-साथ एक नई राज्य सरकार के लिए भी लोग मतदान करते हैं। एक देश एक चुनाव लागू होते ही संसाधनों की भी बचत होगी।