देश में डिजिटलीकरण इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अब चोर भी हाइटेक हो गए हैं. चोर पहले लोगों को चूना लगते थे और कुछ लाख की रकम ही चोरी कर पाते थे. वहीं तकनीकों के अभाव में कहां पहले चोर वैन, गाड़ी या मोटरसाइकिल से आते थे, लोगों और कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर चोरी करते थे और चलते बनते थे. किसी ने अगर इस दौरान हौसला दिखाया तो या तो वो शख्स अपनी जान से हाथ धो बैठता था या फिर दबोच लिया जाता है लेकिन आज के जमाने के चोरों ने हाईटेक तरीके से चोरी करने का पैंतरा खोज लिया है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये कारनामा अभी एक बैंक में हुआ फिर और बैंकों में होगा.
कैसे हुआ घटना का खुलासा
दरअसल जालसाजों ने नोएडा के सेक्टर 62 स्थित नैनीताल बैंक के सर्वर में छेड़छाड़ की और आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट सिस्टम) को हैक कर लिया. इसके बाद बदमाशों ने कई बार में अलग-अलग खातों में करीब 16 करोड़ एक लाख 3 हजार रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए. यह खुलासा बैंक की बैलेंस सीट के मिलान के दौरान हुआ. इसके बाद बैंक के आईटी मैनेजर सुमित श्रीवास्तव ने नोएडा के साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराया है. इसके अलावा बैंक की ओर मामले की जांच के लिए सर्ट-इन (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) से भी आग्रह किया है. आईटी मैनेजर सुमित कुमार श्रीवास्तव ने नोएडा पुलिस को दिए शिकायत में बताया कि पिछले महीने 17 जून को आरटीजीएस खातों के बैलेंस सीट का मिलान किया गया. इस दौरान पाया गया कि मूल रिकार्ड में 36 करोड़ 9 लाख 4 हजार 20 रुपये का अंतर है.
सर्वर में छेड़छाड़ कर 84 बार हुआ संदिग्ध लेनदेन
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच कराई गई. इसमें बैंक के सर्वर में कुछ संदिग्ध गतिविधियां चिन्हित की गई. शुरूआती जांच में शक हुआ कि सिस्टम लाइन में गड़बड़ी की वजह से रकम का मिलान नहीं हो पा रहा, लेकिन 20 जून को आरबीआई प्रणाली को रिव्यू किया गया तो पता चला कि 84 बार संदिग्ध लेनदेन हुई है. आईटी मैनेजर के मुताबिक यह सारी लेनदेन 17 से 21 जून के बीच हुई हैं. आरटीजीएस सेटलमेंट के जरिए रुपये खाते से निकाले गए हैं.
कई बैंकों के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर हुई रकम
यह राशि कई बैंकों के अलग अलग खातों में ट्रांसफर हुई हैं. इस खुलासे के बाद उन सभी बैंक खातों को फ्रीज कराते हुए खाता धारकों को केवाईसी कराने को कहा गया है. इस प्रक्रिया के तहत बैंक ने 69 करोड़ 49 हजार 960 रुपये तो रिकवर कर लिए हैं, लेकिन अभी 16 करोड़ 1 लाख 83 हजार 261 रुपये की ठगी की रकम रिकवर नहीं हो सकी है. नोएडा साइबर क्राइम विंग के एसीपी विवेक रंजन राय के मुताबिक बैंक प्रबंधन की शिकायत पर अज्ञात जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. पुलिस जालसाजों के कंप्यूटर का आईपी एड्रेस ट्रेस कर बदमाशों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. पुलिस को बदमाशों के कुछ डंप मिले हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
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