लोकसभा चुनाव 2024 को मंगलवार को जारी परिणाम में भारतीय जनता पार्टी ने एनडीए के साथ 292 सीटें जीतने में कामयाब हुई है. एनडीए को इस बार 63 सीटों का नुकसान हुआ है। जबकि इंडी गठबंधन खाते में 243 सीटें आई हैं। जबकि 2019 में सिर्फ 91 सीटें मिली थीं। इस तरह इंडी गठबंधन को 143 सीटों का फायदा हुआ है। जबकि अन्य को इस बार 99 सीटें मिली हैं। लोकसभा चुनाव के पहले से सात चरणों में मतदान क्रमशः 66.14 प्रतिशत, 66.71 प्रतिशत, 65.68 प्रतिशत, 69.16 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत और 63.36, 62.36 रहा। इस बार पूरे चुनाव अभियान के दौरान भाजपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में संविधान और मुस्लिम वोटर रहे।
मुस्लिम आरक्षण और संविधान के मुद्दे ने भाजपा को लगाया डेंट
चुनाव के दौरान मुस्लिम आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर पार्टियों में जुबानी जंग देखने को मिली। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो एससी-एसटी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे दिया जाएगा। वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल दिया जाएगा और एससी-एसटी का आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा।इन सब दावों के बीच चुनाव परिणाम में जो देखने को मिला, उससे काफी हद तक यह साफ हो गया कि भाजपा का एससी-एसटी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देने का आरोप कुछ रास नहीं आया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा को मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों में से 30 फीसदी सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। इसके विपरीत समाजवादी पार्टी को पिछले बार के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा सीट का फायदा हुआ।
स्थानीय मुद्दे रहे हावी, कोताही की चुकानी पड़ी कीमत
प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के बावजूद उम्मीदवारों के चयन और चुनावी मुद्दों को सेट करने में विफलता लोकसभा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ी। कुछ राज्यों में बड़े नेताओं के अहं का टकराव भी नतीजों पर नकारात्मक असर पड़ा। चुनाव नतीजों से साफ है कि 2014 और 2019 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले यूपी में अपने ओबीसी वोट बैंक को सहेजने में विफल रही।बावजूद उम्मीदवारों के चयन और चुनावी मुद्दों को सेट करने में विफलता लोकसभा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ी। कुछ राज्यों में बड़े नेताओं के अहं का टकराव भी नतीजों पर नकारात्मक असर पड़ा। चुनाव नतीजों से साफ है कि 2014 और 2019 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश में अपने ओबीसी वोट बैंक को सहेजने में विफल रही।
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