Noida: लोकत्रंत के महापर्व का आयोजन इस बार सात चरणों में किया जा रहा है। लंबी चलने वाली इस चुनाव प्रक्रिया पर खर्च भी काफी होता है। क्या आप जानते हैं कि देश के पहले चुनाव में हर मतदाता पर कितना खर्च किया गया था। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में खर्च का यह आंकड़ा कहां तक पहुंच गया है। अगर नहीं जातने हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें।

2019 लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक हुआ खर्च

लोकतंत्र के महापर्व में जैसे-जैसे मतदाताओं की आस्था बढ़ती गई, वैसे-वैसे लोकसभा सीटों की संख्या भी बढ़ती गई। इस कारण चुनावी खर्च में भी इजाफा हुआ है। 2009 से 2024 के बीच लगभग पांच गुना चुनावी खर्च बढ़ गया है। सबसे अधिक चुनावी खर्च 2019 के आम चुनाव में हुआ था। यह चुनाव कुल 75 दिनों तक चला था। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के खर्च का आंकड़ा लगभग 60,000 करोड़ रुपये था। इसमें चुनावी प्रचार, प्रचार और समर्थन, वोटिंग मशीनों की खरीद, सुरक्षा व्यवस्था, विभिन्न राज्यों और शहरों में चुनावी प्रक्रियाओं का व्यवस्थित किया गया था। इस चुनाव के लिए राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, और चुनाव आयोग को समर्थन देने वालों ने बहुतायत में धन खर्च किया था। 2019 लोकसभा चुनाव में प्रति मतदाता 72 रुपये खर्च किए गए थे।

2014 लोकसभा चुनाव इतना हुआ था खर्च

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनावों का खर्च लगभग 3,870 करोड़ रुपये हुआ था। इसमें कार्यकर्ता वेतन, प्रचार, विज्ञापन, मशीनरी, सुरक्षा आदि। बड़ी-बड़ी राजनीतिक दलों ने भी अपने प्रचार और चुनावी गतिविधियों के लिए बड़ी राशि खर्च की। 1957 के लोकसभा चुनाव में प्रति मतदाता पर 30 पैसे खर्च हुए थे।