साल 2019 में सपा और बसपा का ऐतिहासिक गठबंधन हुआ था। तब लोकसभा चुनाव के लिए मायावती और अखिलेश यादव ने मिलकर चुनाव लड़ा था। अखिलेश और मुलायम के साथ मायावती ने भी एक मंच साझा किया लेकिन चुनाव खतम होते ही दोनों पार्टियों के बीच का ऐतिहासिक गठबंधन टूट गया। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये। जिसके 5 साल बीत जाने के बाद एक बार फिर से मायावती और अखिलेश ने एक दूसरे पर आरोपों-प्रत्यारोपों की बारिश शुरु कर दी है।
मायावती के दावों पर अखिलेश ने खड़े किये सवाल
लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा "जिस दिन बसपा से गठबंधन टूटा, उस समय दोनों दलों के लोग आजमगढ़ में एक सार्वजनिक मंच पर थे। मैं खुद भी वहां मौजूद था। किसी को नहीं पता था कि गठबंधन टूट गया है। मैं खुद फोन करके पूछना चाहता था कि ऐसा क्यों किया गया। कभी-कभी अपनी बात छुपाने के लिए कुछ बातें बनाई जाती हैं।"
मायावती ने सपा को गठबंधन टूटने का ठहराया जिम्मेदार
दरअसल, मायावती ने एक बुकलेट छपवाई है। जिसमें उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सपा के साथ गठबंधन टूटने का जिक्र किया है। इसमें मायावती ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद जब परिणाम आया तो बसपा को 10 सीटें मिलीं और सपा को केवल 5 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके बाद अखिलेश यादव समेत सपा के वरिष्ठ नेताओं ने बसपा नेताओं का फोन उठाना बन्द कर दिया। इसके बाद बसपा ने भी स्वाभिमान को ध्यान में रखते हुए गठबंधन तोड़ने का फैसला कर लिया। मायावती द्वारा लिखित इस बूकलेट को पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में बांटा जा रहा है।
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December 17, 2022