नोएडा की महिला से हुई करोड़ों की ऐसी ठगी, जानकर आप भी पकड़ लेंगे माथा, रातभर होती है कैमरे से नजर, पढ़ें Inside स्टोरी

यूपी के नोएडा से एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। जी हां यहां एक महिला को जालसाजों ने पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ तीस लाख रुपये की ठगी की घटना को अंजाम दे डाला है। वहीं घटना की जानकारी तब हुई जब सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम थाने में सेक्टर-49 के सी ब्लॉक में रहने वाली डॉक्टर शुचि अग्रवाल ने शिकायत दी है। शिकायत दर्ज कराने के दौरान उन्होंने बताया कि 13 जून को मोबाइल पर अनजान नंबर से फोन आया। ठग ने कहा कि वह फेडिक्स अंधेरी शाखा से बात कर रही है। पीड़ित का एक पार्सल पकड़ा गया है जिसमें एलसीडी ड्रग्स, एक्सपायर पासपोर्ट और पांच किलो कपड़े समेत अन्य सामान है।

महिला को पार्सल में ड्रग्स होने का दिखाया डर
साइबर ठगों ने महिला को पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाकर कहा कि आपको हम डिजिटल अरेस्ट करते हैं, आपको मुंबई आना पड़ेगा या फिर ऑनलाइन ही मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों से जुड़ना होगा। जालसाज अपने आप को मुंबई पुलिस कमिश्नर बताता है और कहता है कि हम आपको स्काइप लिंक भेजते हैं और आप वीडियो लिंक से जुड़िए और हमारे सवालों का जवाब दीजिए। महिला को स्काइप कॉल पर जोड़ा गया। इसके बाद कथित अधिकारियों ने महिला से केस के संबंध में बातचीत करनी शुरू कर दी। ठगों ने शुरू में करीब दस घंटे तक महिला को डिजिटल अरेस्ट करके रखा। जालसाजों ने महिला से कहा कि बुजुर्ग होने के चलते उसे सोने के समय स्काइप कॉल से दूर रहने की अनुमति दी जाएगी। अगर इस दौरान कोई होशियारी की गई तो महिला को जेल जाना पड़ेगा। पीड़ित से कहा कि उनके आधार कार्ड पर इस समय कुल छह बैंक अकाउंट चल रहे हैं। सभी खातों में मनी लॉड्रिंग का काम हो रहा है।इसमें लंबे समय तक जेल जाने का प्रावधान है। जेल जाने के डर से महिला ने जालसाजों द्वारा बताए गए खाते में एक करोड़ 30 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर कर दी। ठग तब तक महिला से रकम ट्रांसफर कराते रहे जबतक उसका खाता खाली नहीं हो गया। पैसे वापस मांगने पर ठगों ने महिला से संपर्क तोड़ दिया। इसके बाद महिला ने परिवार के सदस्यों को घटना की जानकारी दी। कुल नौ बार में खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई है।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट, इसे साइबर धमकी या ब्लैकमेलिंग का एक नया तरीका भी कहा जाता है. इसमें साइबर क्रिमिनल विक्टिम को धमकाने और उससे पैसे वसूलने के लिए उसकी पर्सनल तस्वीरें या वीडियो का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह का क्राइम आमतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप या डेटिंग ऐप्स के जरिए किया जाता है. डिजिटल अरेस्ट के मामले में साइबर क्रिमिनल सोशल मीडिया पर शिकार ढूंढते हैं और उनकी निजी तस्वीरें या वीडियो इकट्ठा करते हैं. ऐसा अक्सर हैकिंग या सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके किया जाता है.

साइबर सेफ्टी के मामले में डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम या अनऑफिशियल डिजिटल एक्टिविटी को रोकने के लिए, किसी व्यक्ति या ग्रुप की डिजिटल एक्सेस को लिमिट या रोकने को कहा जाता है. इसमें ये चीजें शामिल हो सकते हैं:
किसी के अकाउंट को लॉक करना या डिएक्टिवेट करना.
इंटरनेट या नेटवर्क एक्सेस को रोकना.
किसी खास वेबसाइट या सर्विस की एक्सेस को बैन करना.
डिजिटल लाइफ पर ज्यादा फोकस करने के मामले में डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट से बचने के तरीके
सिक्योर पासवर्ड का इस्तेमाल करें
टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन
सॉफ्टवेयर अपडेट करें
संदिग्ध लिंक से बचें
पर्सनल डिटेल शेयर न करें
डिजिटल डिटॉक्स
असल दुनिया में पब्लिक इंटरेक्शन
फिजिकल एक्टिविटी

By Super Admin | June 22, 2024 | 0 Comments

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