सरफराज खान के बाद अब उनके छोटे भाई मुशीर खान भी मैदान पर उतर आए हैं। देखा जाए तो दोनों भाई एक से बढ़कर एक हैं। एक ओर सरफराज हैं जिन्होंने राजकोट टेस्ट में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए तो वहीं दूसरी ओर उनके छोटे भाई मुशीर खान उनसे भी एक कदम आगे हैं। मुशीर खान ने रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मैच में बड़ौदा के खिलाफ दोहरा शतक लगाया है।
18 चौकों की बदौलत पूरा किया दोहरा शतक
मुशीर खान ने बड़ौदा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मैच की पहली पारी में 357 गेंदों का सामना करते हुए 203 रन बनाए। जिसमें वो आखिर तक नाबाद रहे। उनकी इस पारी में 18 चौके शामिल रहे। मुशीर के दोहरे शतक की बदौलत मुंबई ने पहली पारी में 384 रन बनाए।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा स्कोर
आपको बता दें कि सरफराज के भाई मुशीर के बल्ले से निकला दोहरा शतक उनके फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा स्कोर है। ये उनके फर्स्ट क्लास करियर की सबसे बड़ी पारी है, जो कि सिर्फ चौथे मैच में ही आई है। इससे पहले उन्होंने 3 फर्स्ट क्लास मैचों में बस 96 रन बनाए थे। इस दोहरे शतक को जड़कर 18 साल 362 दिन के मुशीर रणजी ट्रॉफी में ऐसा करने वाले मुंबई के दूसरे युवा बल्लेबाज बन गए हैं। जबकि पहले स्थान पर वसीम जाफर के नाम है, जिन्होंने 18 साल 262 दिन में दोहरा शतक मुंबई के लिए लगाया था।
मुश्किल हालात को मौके की तरह भुनाया
रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान बड़ौदा के खिलाफ मुशीर का दोहरा शतक सिर्फ उनके कीर्तिमानों के लिए ही खास नहीं है। बल्कि, ये इनिंग जिन हालातों में खेली गई, वो हालात भी खास हैं। मैच के दौरान पृथ्वी शॉ, अजिंक्य रहाणे समेत 4 विकेट 100 रन के अंदर गंवाकर मुंबई की टीम एक वक्त मुश्किल में दिख रही थी। लेकिन, मुशीर ने इस हालात को खुद के लिए मौके की तरह भुनाया और दोहरा शतक जड़कर खुद के साथ- साथ टीम की भी नइया पार लगा दी।
अगर हम सरफराज खान और मुशीर खान के लिए ये कहें कि एक सेर तो दूसरा सवा सेर तो गलत नहीं होगा। जहां एक ओर सरफराज अपनी विरोधी टीम के पसीने छुड़ा देते हैं तो दूसरे जनाब के लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो हारी बाजी को जिताने का दम रखते हैं। जहां सरफराज खान ने पिछले कुछ सीजनों में मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में जमकर रन बरसाए लेकिन इसके बावजूद भी वो कमाल नहीं कर सके जो उनके छोटे भाई मुशीर ने इस रणजी सीजन में कर दिया। अंडर-19 वर्ल्ड कप में कमाल का प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में भी यही दम दिखाया।
मुंबई ने रिकॉर्ड 42वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया
दरअसल गुरुवार 14 मार्च को मुंबई और विदर्भ के बीच रणजी ट्रॉफी फाइनल का आखिरी दिन था, जहां विदर्भ की दमदार कोशिशों के बावजूद खिताब मुंबई की झोली में ही आया। विदर्भ की पारी 368 रन पर खत्म हो गई और इस तरह मुंबई ने 169 रनों से ट्रॉफी अपने नाम कर ली। इस जीत के कई सितारों में से एक मुशीर खान भी थे, जिन्होंने फाइनल में बैटिंग और बॉलिंग में कमाल करते हुए टीम को खिताब तक पहुंचाया। इस ऑलराउंडर के कमाल के प्रदर्शन की मदद से मुंबई ने रिकॉर्ड 42वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया।
सरफराज सेर तो मुशीर सवा सेर
मुंबई और विदर्भ के बीच रणजी ट्रॉफी के फाइनल की पहली पारी में नाकाम होने के बाद मुशीर ने दूसरी पारी में जबरदस्त वापसी की। मुशीर ने इस पारी में 136 रन बनाए और टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाया। इसके बाद मुशीर ने विदर्भ के कप्तान करुण नायर समेत टॉप ऑर्डर के 2 विकेट हासिल कर टीम की जीत की बुनियाद रखी। मुशीर ने इस प्रदर्शन के दम पर वो कर दिखाया, जो रनों का अंबार लगाने के बावजूद बड़े भाई सरफराज भी नहीं कर सके। न सिर्फ मुशीर ने मुंबई के साथ रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता, बल्कि फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच भी चुने गए। 19 साल के इस युवा ऑलराउंडर को इनाम में 50 हजार रुपये मिले, जिसे वो शायद ही कभी भूलेंगे पायेंगे। आपको बता दें कि सरफराज मुंबई के लिए रणजी का खिताब नहीं जीत सके और न ही फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच बने थे, लेकिन उनके भाई ने ये दोनों ही कमाल कर दिखाए।
मुशीर में टीम इंडिया की कमी को पूरा करने का दम
अगर आने वाले वक्त की बात करें तो मुशीर टीम इंडिया में अपनी जगह के लिए दावा ठोक सकते हैं क्योंकि उनमें वो काबिलियत है, जिसकी तलाश टीम इंडिया को रहती है। एक दमदार बैटर होने के साथ ही एक उपयोगी स्पिनर होना मुशीर की खासियत है। मुशीर ने इस सीजन की सिर्फ 5 पारियों में ही 433 रन ठोंके, जिसमें 2 शतक और एक अर्धशतक शामिल हैं, इसके साथ ही 5 विकेट भी झटके हैं। भारतीय टीम में पिछले कुछ सालों में ऐसे खिलाड़ियों की कमी देखने को मिली है, जो टॉप ऑर्डर में अच्छी बैटिंग के साथ ही गेंद से भी मदद कर सकें। देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि मुशीर टीम इंडिया की कमी को पूरा करने का दम रखते हैं।
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