दलित और आदिवासी संगठनों ने आरक्षण मुद्दे को लेकर बुधवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने विभिन्न मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है। इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग हैं। भारत बंद का असर के देश कई हिस्सों में यूपी से लेकर अन्य राज्यों में दिखने लगा है। भारत बंद का समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आरजेडी, चिराग पासवान की पार्टी ने बंद को समर्थन दिया है. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद, भारत आदिवासी पार्टी, साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में हैं.
बसपा ने किया समर्थन
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर बुधवार को किए गए 'भारत बंद' के आह्वान का समर्थन किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, " "बसपा भारत बंद के आह्वान का समर्थन करती है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र तथा इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दोनों समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।"
आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयासः अखिलेश
वहीं, अखिलेश यादव ने भी समर्थन करते हुए एक्स पोस्ट लिखा है कि ‘आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी। सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा। जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं।‘
आगरा में उपवर्गीकरण आरक्षण को लेकर जोरदार प्रदर्शन
आगरा में आरक्षण के विरोध में हजारों की संख्या में दलित हाथों में नीला झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, भारत बंद को लेकर पुलिस हाई अलर्ट मोड पर है। आरक्षण को लेकर पूर्व में सन 2018 2 अप्रैल को दलितों ने चक्का जाम किया था। आगरा में जगह-जगह आरक्षण बचाओ को लेकर दलितों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने जबरन बंद कराई दुकान। धनौली नारीपुरा से हजारों की संख्या में दलित समाज के लोगों ने जुलूस निकाला।
कोटे के भीतर कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन ने मांगों की एक सूची जारी की है। जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग की है। संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाएगा. SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है। इसके अलावा समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की भी मांग की जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का आह्वान किया है।
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December 17, 2022