तीसरे चरण के लिए सात मई को वोटिंग होगी। लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 94 सीटों पर मतदान है। इनमें से 10 सीटें उत्तर प्रदेश की भी हैं। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर 100 उम्मीदवार मैदान में है। तीसरा चरण कई मंत्रियों की साख का भी इम्तिहान लेगा। भले ही यह लोकसभा का चुनाव हो लेकिन इस बार केंद्र के साथ ही राज्य सरकार के मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। तो वहीं इस चरण में सपा के उम्मीदवारों के साथ-साथ मुलायम परिवार के लोगों की भी अग्निपरीक्षा है। मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल खुद मैदान में है तो योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह और अनूप वाल्मीकि को तीसरे चरण में परीक्षा से गुजरना होगा। इसके अलावा योगी सरकार के सात मंत्रियों पर अपने इलाके की सीटों पर बीजेपी को जिताने की टॉस्क है।
2019 के चुनाव में इन 10 सीटों में से बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 10 सीट पर चुनाव है। जिसमें हाथरस, संभल, आगरा, फतेहपुर सीकरी, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, आवंला, बरेली और एटा सीट शामिल है। 2019 के चुनाव में इन 10 सीटों में से बीजेपी ने 8 सीटें जीती थी जबकि सपा सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी। बसपा और सपा इस बार अलग-अलग चुनावी मैदान में है, लेकिन कांग्रेस और सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं तो इंडिया गठबंधन के तहत एक सीट पर कांग्रेस और 9 सीट पर सपा चुनाव लड़ रही है। बसपा ने सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन बरेली सीट के उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया है। इसके चलते बसपा तीसरी फेज में 9 सीटों पर चुनावी मैदान में है। इस चरण में आगरा और हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है तो बाकी सीटें अनरिजर्वड है।
आगरा में मोदी सरकार के एक तो योगी सरकार के दो मंत्री मैदान में
तीसरे चरण में मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल की अग्निपरीक्षा है। आगरा सुरक्षित लोकसभा सीट से एसपी सिंह बघेल लगातार दूसरी बार चुनावी मैदान में है। बघेल का मुकाबला सपा के सुरेश चंद कर्दम और बसपा की पूजा अमरोही से है। सपा प्रत्याशी सुरेश चंद कर्दम जूता कारोबारी हैं जो वर्ष 2000 में आगरा से महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं पूजा अमरोही कांग्रेस नेता सत्या बहन की पुत्री हैं। इस तरह से तीसरे चरण में एसपी बघेल की परीक्षा होनी है। उनके साथ-साथ योगी सरकार के दो मंत्रियों की साख भी दांव पर है। योगी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय को भी इस चरण में अपना राजनीतिक कौशल साबित करना होगा. आगरा लोकसभा इलाके के तहत आने वाले आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से उपाध्याय बीजेपी विधायक हैं। विधायक और मंत्री होने के नाते लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को जिताने का जिम्मा उनके कंधों पर है। आगरा के निवासी होने के नाते योगी सरकार के नागरिक सुरक्षा एवं होमगार्ड राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति की साख भी आगरा सीट के चुनावी नतीजे से जुड़ी है। योगी सरकार के दोनों मंत्रियों को आगरा लोकसभा सीट से बीजेपी को जिताकर खुद को साबित करने की है।
मैनपुरी और हाथरस में भी तीखी टक्कर
मैनपुरी सीट से सपा की डिंपल यादव के खिलाफ बीजेपी से योगी सरकार के मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। जयवीर सिंह मैनपुरी सदर सीट से बीजेपी के विधायक हैं। सपा अपने गठन के बाद से लगातार मैनपुरी सीट जीतती आ रही है। 1996 से लेकर अभी तक सपा मैनपुरी में नहीं हारी है। इस बार बीजेपी ने जयवीर सिंह को उतारा है, जो योगी सरकार के कद्दावर मंत्री माने जाते हैं और ठाकुर समुदाय से आते हैं। लेकिन डिंपल यादव के सामने उनकी दाल गलना आसान नहीं है। वहीं हाथरस लोकसभा सीट पर बीजेपी से चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे अनूप वाल्मीकि योगी सरकार में मंत्री हैं। जो कि अलीगढ़ के खैर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। बीजेपी ने इस बार उन्हें हाथरस सीट अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर दिया है। हाथरस में अनूप वाल्मीकि का मुकाबला सपा के जसवीर वाल्मीकि और बसपा के हेमबाबू धनगर से है। ग्राम प्रधान से विधायक और फिर राज्य मंत्री तक का सफर तय करने वाले अनूप वाल्मीकि के लिए हाथरस सीट को बचाए रखने की चुनौती है। बीजेपी के लिए यह सीट काफी मजबूत मानी जाता रही है। ऐसे में अनूप वाल्मीकि को विधायकी के बाद संसदीय सीट जीतने की चुनौती है।
फतेहपुर सीकरी के साथ-साथ आगरा सीट भी बनी चुनौती
फतेहपुर सीकरी सीट पर बीजेपी के राज कुमार चाहर का मुकाबला कांग्रेस के रामनाथ सिकरवार और बसपा के राम निवास शर्मा के बीच माना जा रहा है। योगी सरकार में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। बेबी रानी फतेहपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आगरा ग्रामीण क्षेत्र से बीजेपी विधायक हैं। महिला कल्याण मंत्री होने के नाते भाजपा की उनसे यह अपेक्षा होगी कि वह आधी आबादी के बीच पार्टी के जनाधार को मजबूती देंगी। इसके अलावा बीजेपी की जाटव चेहरा मानी जाती है, जिसके चलते दलितों के बड़े वोटबैंक जाटव समाज को भी साधने की है। फतेहपुर सीकरी के साथ-साथ आगरा सीट पर दलित वोटों को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने की चुनौती है।
आंवला सीट पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला
आंवला लोकसभा सीट पर बीजेपी के दो बार से सांसद धर्मेंद्र कश्यप की साख दांव पर है। बीजेपी ने एक बार फिर से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। जिनका मुकाबला बसपा के आबिद अली और सपा ने नीरज मौर्य के बीच है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। राज्य सरकार में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह आंवला विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के विधायक हैं। जो कि आंवला लोकसभा सीट का हिस्सा है। क्षेत्रीय विधायक और मंत्री के रूप में लोकसभा चुनाव में वह आंवला सीट पर बीजेपी की जीत दिलाने के लिए मशक्कत करनी होगी.
संभल सीट पर बीजेपी को जीत मिलना काफी अहम
बात करें संभल लोकसभा सीट की तो 2019 में सपा के शफीकुर्रहमान बर्क ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उनके निधन के बाद सपा ने उनके पोते जियाउर्रहमान को प्रत्याशी बनाया है। सपा से जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ बीजेपी से परमेश्वर लाल सैनी और बसपा से शौलत अली चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी यह सीट 2014 में जीती थी, लेकिन पिछले चुनाव में हार गई है। संभल सीट पर योगी सरकार की माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। गुलाब देवी इस लोकसभा सीट के चंदौसी विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं। इस तरह संभल सीट पर बीजेपी को जीत दिलाने का टॉस्क है।
अरुण सक्सेना पर बीजेपी के छत्रपाल गंगवार को जिताने का जिम्मा
बरेली लोकसभा सीट पर सपा के प्रवीण कुमार ऐरन और बीजेपी के छत्रपाल सिंह गंगवार के बीच सीधा मुकाबला है। बसपा प्रत्याशी छोटेलाल गंगवार का पर्चा निरस्त हो गया है। बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता संतोष गंगवार का टिकट काटकर छत्रपाल गंगवार को उतारा है। जो 2022 के विधानसभा चुनाव में बहेड़ी सीट से चुनाव हार गए थे। बरेली विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक और राज्य सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना के लिए भी तीसरा चरण कम प्रतिष्ठापरक नहीं है। सक्सेना को अपनी राजनीतिक कौशल को साबित करने के लिए बीजेपी के छत्रपाल गंगवार को जिताने का जिम्मा है।
कल्याण सिंह के बेटे-पोते की प्रतिष्ठा भी दांव पर
एटा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया है। राजवीर के खिलाफ सपा ने देवेश शाक्य और बसपा ने मोहम्मद इरफान पर दांव खेला है। कल्याण सिंह के बेटे और पोते दोनों की परीक्षा तीसरे चरण के चुनाव में होनी है। राजवीर सिंह के बेटे संदीप सिंह यूपी की योगी सरकार में मंत्री है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह तीसरे चरण में एटा लोकसभा सीट पर जीत की तिकड़ी लगाने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं और उनके पुत्र बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह इस लोकसभा सीट के पड़ोस के अतरौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस तरह पुत्र होने के नाते संदीप सिंह की प्रतिष्ठा भी पिता के चुनाव से जुड़ी है।
7 मई तो तीसरे फेज की वोटिंग होनी है। लोकसभा चुनाव के दो चरण की 190 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। अब लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की 95 सीटों पर कुल 1352 उम्मीदवार चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे है। इस फेज में बीजेपी के 82 प्रत्याशी मैदान में हैं तो कांग्रेस के 68 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा बसपा के 79 और सपा के 9 उम्मीदवार हैं। 650 निर्दलीय प्रत्याशी हैं तो 440 अन्य दलों के कैंडिडेट हैं। जहां तीसरे चरण में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। तो वहीं बीजेपी को देश में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए अपनी जीती हुई सीटों को बचाए रखने की चुनौती सामने है। इस फेज की वोटिंग के बाद आधे से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव पूरा हो जाएगा। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में पहले 94 सीटों पर चुनाव होने थे, लेकिन दूसरे चरण में बैतुल सीट पर बसपा उम्मीदवार के निधन से चुनाव रिक्त हो गया था। जिसके कारण अब उस सीट पर तीसरे चरण में चुनाव होना है, जिसके चलते 95 सीट पर चुनाव हो रहे हैं।
तीसरे चरण में किन-किन राज्यों में होगी वोट की चोट
तीसरे चरण में जिन 95 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें असम की 4, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 7, मध्य प्रदेश की 9, महाराष्ट्र की 11, दादर-नगर हवेली और दमन-दीव में एक-एक सीटें, गोवा की 2 सीटें, कर्नाटक की 14, जम्मू-कश्मीर की 1 सीट, पश्चिम बंगाल की 4, गुजरात की 25 और उत्तर प्रदेश की 10 सीटें शामिल हैं। इस तरह एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच हो रहे सियासी मुकाबले से कहीं ज्यादा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी का सियासी ग्राफ बढ़ा है तो कांग्रेस धीरे-धीरे नीचे गिरती जा रही है।
चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का गिर रहा ग्राफ
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 95 सीटों पर होने वाले चुनावी नतीजे को देखें तो बीजेपी 72 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस सिर्फ 4 सीटें ही पा सकी थी। इसके अलावा 9 सीटें अन्य दलों को मिली थी। 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी का ग्राफ बढ़ा है तो कांग्रेस की सीटें घटी हैं। 2009 में बीजेपी ने 47 सीटें जीती थी और 2014 में यह बढ़कर 67 सीटों पर पहुंच गया था। 2019 में भी बीजेपी को उससे भी पांच सीटें ज्यादा मिली। कांग्रेस की सीटें देखें तो 2009 में 27 सीटें जीती थी और 2014 में 9 सीटों पर सिमट गई। 2019 में उसे 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इस तरह बीजेपी चुनाव दर चुनाव बढ़ी है तो कांग्रेस घटती जा रही।
तीसरे चरण का रण बीजेपी का मजबूत दुर्ग
तीसरे चरण में गुजरात की 25 सीटों पर चुनाव है, बीजेपी 2014 और 2019 में सभी सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस तरह एमपी की जिन 9 सीटों पर चुनाव है, उस पर भी बीजेपी ने पिछले चुनाव से क्लीन स्वीप किया है। बीजेपी छत्तीसगढ़ की 7 में से 6 सीटें जीती थी और कर्नाटक की सभी 14 सीटों पर उसने कब्जा जमाया था। इसके अलावा यूपी की 10 में से 8 सीटें बीजेपी ने जीती थी। बिहार की 5 सीट बीजेपी के पास है। महाराष्ट्र की सभी 11 सीटों पर बीजेपी के सामने इस बार चुनाव में कड़ी चुनौती है। इसके अलावा असम की जिन चार सीटों पर चुनाव है, उसमें एक सीट पर बदरुद्दीन अजमल का कब्जा है और बाकी तीन सीटें एनडीए के पास है।
मुलायम परिवार के तीन सदस्यों की परीक्षा
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मुलायम परिवार के तीन सदस्यों की परीक्षा है। जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी सीट से हैं। रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं तो शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बदायूं सीट से चुनावी मैदान में है। इस तरह से अखिलेश से लेकर शिवपाल और रामगोपाल तक की परीक्षा इस फेज में होनी है। वहीं, यूपी की जिन 10 सीट पर तीसरे फेज में चुनाव है, उसमें 9 सीट पर सपा चुनाव लड़ रही है। सपा 2019 में संभल और मैनपुरी सीट जीतने में कामयाब रही थी, जिसके चलते इस बार उसे बचाए रखते हुए अपनी सीटों को बढ़ाने की चुनौती अहम है।
कांग्रेस के सामने अपना वजूद कायम रखने की चुनौती
कांग्रेस 10 सालों में 27 सीटों से घटकर 4 सीट पर पहुंच गई है। मोदी लहर में कांग्रेस दहाई के अंक में नहीं पहुंच पा रही है, लेकिन उसको इस बार के चुनाव में काफी उम्मीदें हैं। कांग्रेस को कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र और गुजरात तक में अपनी सीटें बढ़ने की उम्मीदें हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ गठबंधन का कांग्रेस को चुनाव लड़ने का लाभ मिलने की संभावना है, तो गुजरात में क्षत्रिय समाज की नाराजगी से अपना फायदा देख रही है। बीजेपी के पुरुषोत्तम रुपाला के बयान से क्षत्रिय समाज नाराज है। गांव-गांव में इसका असर दिख रहा है, जिसके चलते माना जा रहा है कि गुजरात में बीजेपी की सीटें इस पर कम हो सकती हैं। ऐसे में यह देखना काफी अहम होगा कि इस बार कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ा पाने में कामयाब होती है या फिर एक बार फिर जीत का ग्राफ गिर जाएगा।
लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण की वोटिंग सात मई को होनी है। इस चरण में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, गुजरात और पश्चिम बंगाल सहित 13 राज्यों की 94 सीटों पर मतदान होना है। वहीं इस चरण में कई दिग्गजों की अग्निपरीक्षा भी होनी है। इस वजह से भी ये चरण काफी अहम है। अमित शाह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मांडविया, एसपी सिंह बघेल, सुप्रिया सुले सहित तमाम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। वहीं कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को भी मिलेगा, जहां लड़ाई बेहद रोचक हो गई है। जानकारों की मानें तो तीसरे चरण के चुनाव में जीत का परचम फहराने वाला सत्ता की बागडोर भी संभाल सकता है। इस कारण से भी तीसरा फेज काफी अहम माना जा रहा है।
दूसरी बार गांधीनगर सीट पर किस्मत आजमा रहे शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर से गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार इसी सीट से वो जीतकर सांसद बने थे, लेकिन इस बार उनका सामना कांग्रेस की प्रत्याशी सोनल पटेल से है। गांधीनगर सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है और अमित शाह के पहले लालकृष्ण आडवाणी यहां से सांसद चुने जाते रहे हैं। अमित शाह 2019 में पहली बार गांधीनगर सीट से लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे थे और जीतकर सांसद बने थे। अब दूसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं।
गुना सीट पर अपनी वापसी की आस में ज्योतिरादित्य सिंधिया
अपने पुराने गढ़ गुना लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। इस बार सिंधिया बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। तब वे चुनाव हार गए थे। बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर सिंधिया की इस बार कोशिश अपनी वापसी के लिए है। सिंधिया का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह यादव से है। यादवेंद्र यादव बीजेपी में थे और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
मनसुख मांडविया और ललित भाई वसोया में कांटे की टक्कर
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया की अग्नि परीक्षा होनी है। मांडविया गुजरात की पोरबंदर संसदीय सीट से चुनावी मैदान में हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी ललित भाई वसोया से है। पोरबंदर लोकसभा सीट पर बीजेपी की मजबूत सीटों में से है और लगातार जीत दर्ज कर रही है, लेकिन इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
मंत्री एसपी सिंह बघेल की तीसरे फेज में अग्नि परीक्षा
मोदी सरकार में मंत्री एसपी सिंह बघेल का इम्तिहान तीसरे चरण में होना है. एसपी बघेल दूसरी आगरा सुरक्षित सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। तो सपा से सुरेश चंद्र कदम किस्मत आजमा रहे हैं। जबकि बसपा से पूजा अमरोही ने उतरकर त्रिकोणीय बना दिया है। पूजा अमरोही कांग्रेस नेता सत्या बहन की पुत्री हैं। दलित बहुल इस सीट पर बसपा कभी चुनाव नहीं जीत सकी है, लेकिन दूसरे नंबर पर हमेशा रही है। इस बार पूजा अमरोही ने इस मुकाबले को रोचक बना दिया है।
सुप्रिया सुले के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में शरद पवार के परिवार की अग्निपरीक्षा होनी है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अपनी परंपरागत बारामती सीट से तीसरी बार उतरी हैं। सुले के सामने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार चुनाव लड़ रही हैं। एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद शरद पवार और अजित पवार दो अलग गुटों में बंट गए हैं। ऐसे में सुप्रिया सुले अपनी सीट को बचाए रखने की चुनौती है।
20 साल बाद लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे शिवराज सिंह चौहान
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान इस बार विदिशा लोकसभा सीट से मैदान में है। उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप भानु शर्मा से है। शिवराज सिंह 20 साल बाद लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं। इससे पहले 2005 तक इस सीट से सांसद रहे हैं। बीजेपी ने अब उन्हें केंद्रीय राजनीति में लाने का फैसला किया है, तो विदिशा सीट पर फिर से उतारा है।
मुलायम सिंह की सियासी विरासत संभालने उतरीं डिंपल यादव
मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत संभालने के लिए अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं। इस सीट पर बीजेपी ने जयवीर सिंह को उतारा है, तो बसपा से शिव प्रसाद यादव किस्मत आजमा रहे हैं। 1996 से यह सीट सपा जीत रही है। मोदी लहर में भी यह सीट सपा जीतने में कामयाब रही। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव में डिंपल यादव मैदान में उतरी थीं और जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने इस बार ठाकुर और बसपा ने यादव कार्ड खेलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कवायद की है।
मुलायम परिवार के दो नेताओं का टेस्ट भी तीसरे फेज में
इसके साथ मुलायम परिवार के दो नेताओं का टेस्ट भी इसी चरण में होना है। बदायूं सीट से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव और फिरोजाबाद सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनावी मैदान में उतरे हैं। 2019 में सपा ने दोनों ही सीटों को गंवा दिया था, लेकिन इस बार कांटे की लड़ाई है। ऐसे में देखना है कि क्या इस बार मुलायम परिवार अपनी सीटें बचा पाएगा?
राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। 1991 में दिग्विजय इस सीट से चुनावी मैदान में उतरकर भारी मतों से जीत दर्ज की थी। राजगढ़ उनकी परंपरागत सीट रही है, जिसके चलते कांग्रेस ने दिग्विजय पर दांव खेला है। इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के रोडमल नागर से है। मोदी लहर में बीजेपी ने इस सीट पर मजबूती से अपना कब्जा जमा रखा है, लेकिन दिग्विजय सिंह के उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है।
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