Greater Noida: प्राधिकरण के खिलाफ 120 दिनों से चल रहे किसानों का आंदोलन मंगलवार को उग्र हो गया. धरना दे रहे किसानों ने पहले ही 12 सितंबर को प्राधिकरण का घेराव कर तालाबंदी करने का ऐलान किया था. इसी के तहत मंगलवार को बड़ी संख्या में किसानों ने प्राधिकरण पर एकत्रित होकर आवाज बुलंद किए. किसानों ने प्राधिकरण के गेट पर कब्जा कर लिया और धरने पर बैठ गए. इस दौरान भारी पुलिस फोर्स मौके पर किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है. इस दौरान पुलिस और किसानों से नोकझोक भी हुई. वहीं किसानों का समर्थन देने सपा विधायक अतुल प्रधान भी पहुंचे.
किसानों की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान
इस दौरान किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने कहा कि उन लोगों ने प्राधिकरण को पर्याप्त समय दे चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक किसानों की समस्या का कोई हल नहीं निकला. इसकी वजह से मजबूरन प्राधिकरण के घेराव की रणनीति अपनानी पड़ी।वहीं, किसान सभा के महासचिव हरेंद्र ने कहा, "हमारी लड़ाई वाजिब है। काफी वक्त हम प्राधिकरण को अपनी समस्याओं को सुलझाने के बाबत दे चुके हैं। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों पर जूं तक नहीं रेग रही। बता दें कि इसके पहले किसानों ने गांवों में मीटिंग कर ग्रामीणों से 12 सितंबर को प्राधिकरण पर पहुंचने की अपील की थी. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी ने धरने पर पहुंचकर समर्थन किया था और साथ देने का आश्वासन किया था.
किसानों की ये हैं मुख्य मांगे
बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की स्थापना के साथ ही किसानों का विरोध शुरू हो गया था। किसान खुद को इस विकास से दूर मानते आ रहे हैं। वहीं, लगभग 10 साल से 64.7% अतिरिक्त मुआवजा, 6%, 7% और 10% आबादी भूखंडों से जुड़े मामले लटके हुए हैं। इसके अलावा आबादी निस्तारण, बैकलीज मामले, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे कॉरिडोर से प्रभावित किसानों की मांग है. इसी को लेकर लगातार किसान आंदोलन चल रहे हैं। करीब एक वर्ष से डीएमआईसीडीसी से प्रभावित किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ महीनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का आंदोलन चल रहा था. लेकिन सीएम योगी के आने से पहले किसानों को आश्वासन देकर उठा दिया गया। अब मांगें और शर्त पूरी नहीं होने पर 18 जुलाई से किसान लगातार धरना दे रहे हैं.
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