Bagpat: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को मोबाइल चलाने से मना करने पर भारी पड़ गया।कलयुगी पत्नी ने आगबबूला होकर पति की आंख में कैंची घोंप दी,जिससे पति गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद पीड़ित पति ने थाने पहुंचकर पत्नी के खिलाफ शिकायत करते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई है। पति का आरोप है कि पत्नी मोबाइल चला रही थी, उसने पत्नी को रोका तो गुस्से से झल्ला उठी और घर में रखी कैंची उठाकर उसकी आंख में घोंप दी। कैंची लगने से पीड़ित पति की आंख में चोट आई है, जिसका वह उपचार करा रहा है।
तीन साल पहले हुई थी शादी
बता दें कि बड़ौत निवासी 28 वर्षीय अंकित की शादी तीन साल पहले रमाला थाना क्षेत्र के सूप गांव की एक युवती से हुई थी।शादी के कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चलता रहा। लेकिन पिछले डेढ़ साल से आए दिन किसी न किसी बात को लेकर पति और पत्नी के बीच कहासुनी-मारपीट होती रहती हैं। आज भी ऐसा ही हुआ। जब अंकित ने अपनी पत्नी को मोबाइल चलाने से रोका तो वह आगबबूला गई और कमरे के अंदर चली गई। थोड़ी देर बाद ही वह कैंची लेकर आई और चारपाई पर बैठे पति अंकित की आंख में कैंची घोंप दी। जिससे अंकित लहुलुहान होकर जमीन पर गिर गया। शोर सुनकर युवक की भाभी और भतीजे दौड़े। इसके बाद अंकित को उपचार के लिए अस्पताल ले गए। उपचार के बाद अंकित ने मामला दर्ज करवाया। पुलिस मामला दर्जकर जांच पड़ताल में जुट गई है।
पुलिस कर रही जांच पड़ताल
घटना पर बड़ौत सीओ सविरत्न गौतम ने बताया कि पति-पत्नी के बीच मोबाइल चलाने को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद पत्नी ने पति की आंख में कैंची मार दी। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और मामले में जांच पड़ताल करके कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बागपत जिले के किशनपुर बराल गांव से बच्चे को दान देने का मामला सामने आया है। मन्नत पूरी होने पर माता-पिता ने अपनी खुशी से अपने 9 महीने के बच्चे को मंदिर में दान कर दिया है। मंदिर में दान करने के बाद माता-पिता काफी खुश हैं और अपने आप को भाग्यशाली बता रहे हैं।
बागपत के किशनपुर बराल गाँव निवासी माता-पिता ने अपने 9 महीने के बच्चे को बाबा महावीर गिरि मंदिर में दान कर दिया है। बच्चे की माँ ने बताया कि उन्होंने मन्नत मांगी थी की दो बच्चे होने पर वह एक बच्चे को मंदिर में दान कर देंगे। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने ये फैसला लिया और बच्चे को मंदिर में दान देने के बाद बच्चे के माता पिता भी काफ़ी खुश दिखाई दे रहे है।
दो साल की उम्र तक माता-पिता के रहेगा पास
वहीं मंदिर के पुजारी ने नामकरण के बाद बच्चे को माता-पिता को पालन-पोषण के लिए दे दिया है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि दो साल की उम्र तक दूधपान के लिए माता-पिता के पास रहेगा। इसके बाद बच्चे को मंदिर में लाया जाएगा। यह बच्चा हमारा वारिश बनेगा। बाद में बच्चे को गद्दी की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।
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