Greater Noida: बुद्ध सर्किट स्पोर्ट सिटी में होने वाले मोटो जीपी रेस को बंद करने की हेलमेट मैन ऑफ इंडिया राघवेंद्र कुमार ने मांग की है. हेलमेट मैन ऑफ इंडिया इसको लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू औ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखक बंद कराने की मांग की है। पत्र में कहा है कि मोटो जीपी रेस सिर्फ अमीर देशों के लिए रोमांच है, भारत के लिए मौत की रफ्तार है। मोटोजीपी रेस अभी तक सिर्फ 30 देश में ही आयोजित हुआ है, 31वां देश अब भारत होगा. जिन देशों में अभी तक यह रेस आयोजित हुआ है, वहां सड़क सुरक्षा के बुनियादी ढांचे बहुत मजबूत है। उन देशों में पैदल चलने और साइकिल चलाने वाले लोगो के लिए अलग ट्रैक होते हैं। कार और बाइक की रफ्तार में स्पीड लीमिट यहां अधिक होती हैं। यहाँ सड़क हादसे बहुत कम होते हैं क्योंकि सड़क सुरक्षा को लेकर काम करने वाली एजेंसी बहुत मजबूत होती हैं।
भारत मौत के आंकड़ों में पहले पायदान पर
हेलमेट मैन ऑफ इंडिया ने आगे लिखा है कि भारत पहले से ही विश्व के सभी देशों से मौत के आंकड़ों में पहले पायदान पर है। यहाँ जागरुकता बढ़ाने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने एवं सुरक्षा कानून को लागू करने पर सरकार ध्यान केंद्रित कर रही हैं। क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष सड़क हादसों की वजह से 4 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान हो रहा है। जबकि भारत में विश्व स्तर पर लगभग दो प्रतिशत ही वाहन है. लेकिन यह 11 प्रतिशत से अधिक सड़क यातायात मौत के लिए जिम्मेदार है। भारत में पैदल यात्रियों और साइकिल चलाने वाले के लिए कोई सुरक्षा कानून नहीं है, जो देश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत में से एक तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार है। इसके लिए कोई आपातकालीन प्रणाली भी नहीं है। सड़क यातायात से होने वाली मौत का मजबूत आंकड़े की कमी भी शामिल हैं।
भारत में आज भी सड़क पार करने के लिए दोनों दिशाओं में देखना पड़ता है. क्योंकि भारत में गाड़ी चलाने वाले जिम्मेदार नागरिक की आज भी कमी हैं। अधिकांश राज्यों की अपनी सड़क सुरक्षा नीतियों होनेके बावजूद भारत के पास सड़क सुरक्षा रणनीतियां को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए कोई प्रमुख एजेंसी नहीं है।
भारत में आज भी 50 प्रतिशत लोग सड़कों पर साइकिल चलाते हैं, राज्यों की तुलना की जाए तो वेस्ट बंगाल के बाद दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश राज्य में 75.6 प्रतिशत लोग आज भी सड़कों पर साइकिल चलाते हैं, और मौत के आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश सभी राज्यों से अग्रीण बना हुआ है, गौतमबुद्ध नगर जिले में जब से फॉर्मूला वन ट्रैक बना तब से इस जिले में सड़क हादसों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि यहां के युवाओं में ओवर स्पीड गाड़ी चलाने की वजह से हादसों में वृद्धि के साथ चालान और मौत के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं।
सड़क हादसे के शिकार 76.2 प्रतिशत कामकाजी
भारत में 2004 में धूम पिक्चर रिलीज के बाद से स्पीड बाइक का प्रचलन तेजी से बढ़ गया। बाइक में साइलेंसर बढ़ाना तेज ध्वनि का प्रचलन हादसों में एकाएक इजाफा देखने को मिला है। प्लेन सीट वाली बाइक भी एक दम से स्टाइलिश बाइक के साथ सीट भी बदल गई. क्योंकि हमारे भारत में प्रचार से लोग काफी आकर्षित होते है। भारत सरकार मंत्रालय के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए 76.2 प्रतिशत लोग अपनी मुख्य कामकाजी 18 से 45 वर्ष के होते हैं। भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वाले देश में सामाजिक आर्थिक स्थिति और सड़क उपयोग पैटर्न के बीच एक स्पष्ट संबंध है। इसीलिए गरीब लोगों के सड़क यातायात दुर्घटना में शामिल होने की संभावना अधिक रहती है। सड़क दुर्घटना कोविड-19 की तरह हमारे भारत में सामाजिक आर्थिक परिदृश्य को खराब कर रही है, और हमारे परिवहन मंत्रालय ने कोवीड-19 से भी घातक इसे करार दिया है।
गडकरी भी सड़क दुर्घटना कम करने में असफल हुए
भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने 2020-2021 में एक कॉन्फेरेन्स में कहा था कि "सड़क दुर्घटना 50 प्रतिशत कम करने का वादा किया था, लेकिन दो माह पहले अपना एक स्टेमेन्ट में कहा कि "मैं अच्छे सड़क एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर तो बनवा सकता हूँ लेकिन सड़क दुर्घटना कम करने में असफल रहा इसलिए मैं अपने पहले दिए गए स्टेटमेंट को वापस लेता हूँ, क्योंकि राज्य सरकार एवं उनके अधिकारी सामंजस्य के साथ कार्य नहीं किए। एक व्यक्ति को बचाने में 90 लाख की बचत होती है। यातायात दुर्घटनाएं छोटे विकलांगता से आज भारतीय समाज विश्व स्तर पर बोझ बनता जा रहा है। इस खतरनाक परिदृश्य में सड़क सुरक्षा मंत्रालय गरीबों की हित की रक्षा के लिए नीतियां बना रही है।
9 साल से सड़क हादसों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूं
हेलमेट मैन ऑफ इंडिया पत्र में आगे लिखा है कि भारत में सड़क सुरक्षा रिपोर्ट को मजबूत करने में चुनौतियां बनी हुई है, जो व्यवहारिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए मैं पिछले 9 साल से सड़क हादसों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूँ. 9 सालों से भारत की सड़कों पर घूम-घूम कर भारत के युवाओं की जिंदगी बचाने का प्रयास कर रहा हूँ। क्योंकि आज से 9 साल पहले नोएडा एक्सप्रेस-वे पर मैं अपना एक दोस्त खो दिया था। जो अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। तब से मैंनें शपथ ली कि भारत की सड़कों पर हर नागरिक को एक स्मार्ट रोड यूजर बनाने से पहले उसे अपना दोस्त बनाऊंगा, ताकि वह भारत की सड़को पर हादसे के खिलाफ लड़ाई लड़ सके। इस लड़ाई को लड़ते हुए मुझे 9 साल हो गए और अपने जेब खर्चे से अब तक भारत की सड़कों पर 56000 से अधिक हेलमेट बाट चुका हूँ। सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा चुका हूँ, करोड़ों लोगों तक अपना मिशन पहुंचाने में सफल हुआ हूं, जो दुनिया अब हमें राघवेंद्र कुमार की जगह हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानती है।
90 प्रतिशत लोगों को सड़क पर चलने का नियम नहीं पता
राघवेंद्र कुमार ने आगे लिखा है कि मोटो जीपी रेस हमारे भारत के युवाओं को सड़कों पर स्पीड रफ्तार की बढ़ावा दे सकती है। जिस वजह से हमारे देश की सड़कों पर मौत की रफ्तार तेजी से बढ़ेगी क्योंकि सड़क पर गाड़ी चलाने वाले वाहन स्वामियों को सड़कों का अंदाजा नहीं रहता है। क्योंकि इसी सड़क पर आम व्यक्ति साइकिल लेकर चलता है, और पैदल चलने वाले भी होते है। भारत के 77 साल आजादी के बाद भी आज भी 40 प्रतिशत लोग शिक्षा से वंचित हैं। 90 प्रतिशत लोगों को सड़क पर चलने का नियम कानून ही नहीं पता है। फिर ऐसे रोमांचक रेस के आयोजन से भारत के राजस्व का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है, और 90 प्रतिशत जनता की जान माल प्रभावित हो सकती है।
रक्षाबंधन के दिन ग्रेटर नोएडा में पेड़ों पर राखी बांधने के बदले बच्चों को हेलमेट दिए गए। उन्हें हेलमेट की महत्ता और सड़क पर गाड़ी चलाने के नियमों के बारे में भी बताया। ‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ ने बच्चों को सीख दी। आपको बता दें, ‘हेलमेट मैन’ सड़क दुर्घटना के खिलाफ बीते 10 सालों से लड़ाई लड़ रहे है।
‘हेलमेट मैन’ को देश-विदेश से आईं राखियां
भारत के अलग-अलग कोनों से 188 बहनों ने हेलमेट मैन ऑफ़ इंडिया को राखी भेज कर उनकी कलाई मजबूत कर रही हैं। उनमें से एक बहन ने सरहद पार लंदन से राखी के साथ हेलमेट भेजा। रक्षाबंधन के दिन सैकड़ों छोटे बच्चे खुशी से झूम उठे, क्योंकि पेड़ को राखी बांधने के बदले हेलमेट मिला।
पेड़ पर क्यों बांधी गई राखी?
दरअसल, पेड़ पर राखी बांधने की वजह भी बेहद खास है। पिछले 20 सालों से लंदन में रहने वाली रसपाल सियान ये काम कर रही हैं। उन्होंने भारत की सड़कों पर 20 साल पहले अपने भाई प्रदीप सिंह रतन को हेलमेट न लगाने की वजह से खो दिया था। सड़क दुर्घटना की वजह से उनके भाई की मौत हुई, उनका भाई मां-पिता के साथ छुट्टियों पर भारत आया था, लेकिन वापस नहीं जा सका। उस समय वो अपने भाई के साथ नहीं थीं। मौजूदा समय में रसपाल सियान पूरे परिवार संग लंदन में रहती हैं। उन्हें भारत की सड़के बेहद डरावनी लगती हैं, क्योंकि उन्होंने अपने भाई को खो दिया था। इस अभियान को शुरु करने की वजह उन्हें वहीं से मिली, क्योंकि वो नहीं चाहती थीं कि जो उनके साथ हुआ, वो किसी और के साथ भी हो।
हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के काम से हुई प्रभावित
जब रसपाल सियान ने हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के बारे में पढ़ा, तो उन्हें ये प्रयास बहुत अच्छा लगा। क्योंकि दिल्ली की सड़कों पर उनके भाई को तड़पते हुए कई लोगों ने देखा था, लेकिन अस्पताल ले जाने के लिए कोई तैयार नहीं था। अगर सही समय पर ईलाज शुरू होता, तो सर से ब्लीडिंग को रोका जा सकता था। लेकिन इन सभी असफलताओं के बीच हेलमेट मैन की जिंदगी बचाने की सफलता देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई और अब हेलमेट मैन ऑफ़ इंडिया के मिशन को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं, ताकि मेरी तरह कोई और भारत की बहने अभागीन ना बने और बचपन से भाई की कलाई में राखी बांधते समय एक सुरक्षा की भी राखी जरूर बांधे।
4 साल के बच्चों के लिए हेलमेट कानून कराया लागू
हेलमेट मैन ऑफ इंडिया सुप्रीम कोर्ट से 4 साल के बच्चों के लिए हेलमेट लगाने का क़ानून भी लागू करा चुके हैं। ग्रेटर नोएडा के इस कार्यक्रम से ग्रेटर नोएडा के सैकड़ों परिवार में दो-गनी खुशी हुई। हेलमेट मैन ऑफ़ इंडिया ने कहा सभी माता-पिता अपने जवान बेटे और बेटी को स्कूटी बाइक तभी खरीद कर दें, जब आपके बच्चे को साइकिल पर हेलमेट लगाने की आदत बन जाए। शिक्षा के पीछे भागने वाले सभी माता-पिता को अब सुरक्षा के पीछे भगाने का समय आ चुका हैं।
ये लोग हुए मौजूद
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारत सरकार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), डिप्टी डायरेक्टर डॉ निखिल कांत जी पहुंचे। ‘विश्व निशाने पर है’ जलवायु संकट जागरूकता अभियान से बच्चों को पर्यावरण के बारे में कविता के माध्यम से जागरुक किया गया। इंडिया यंगेस्ट साइंटिस्ट गोपाल भी बच्चों से मिले और आर्मी रिटायर कर्नल लाखन सिंह मेजर जीडी शर्मा बच्चों के बीच सड़क सुरक्षा की जागरूकता का उत्साह देखकर कहा कि ये बच्चे छोटे उम्र में आर्मी जवान की तरह एक सड़क सुरक्षा के योद्धा दिखाए दे रहे हैं।
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