Noida update: नोएडा प्राधिकरण से बड़ी खबर सामने आ रही है। मुआवज़ा घोटाले के मामले में फंसे तीन अफसरों की उस वक्त मुश्किल बढ़ गई, जब वो अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इस मामले की CBI या फिर दूसरी किसी एजेंसी से जांच का इशारा कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के नाम घोटाले में उजागर होते रहते हैं। प्राधिकरण के अफसरों ने अपात्रों को 7 करोड़ 26 लाख रुपये का मुआवजा बांट डाला। छह सालों तक इस घोटाले का जिन्न फाइलों में दबा रहा लेकिन अब जाकर बाहर आया है और इसके बाहर आते ही पूरे प्राधिकरण में खलबली मच गई।
अपात्रों को बांट दिया गया था मुआवजा
ये बात जानकर आपको और हैरानी होगी कि कैसे मुआवजे को बांटा गया। दरअसल इन अधिकारियों ने मिली भगत से मुआवजा उठाने वाले किसानों ने प्रार्थना पत्र प्राधिकरण को दिया था। जिसको बिना जांच किए दो घण्टे के भीतर ही करोड़ों की चेक दे दी गई और रकम खाते से निकल भी गई। अधिकारियों ने ये भी जहमत नहीं उठाया कि आखिर जिन्हें मुआवजा दिया है, वो इस मुआवजे को प्राप्त करने की कैटेगरी में हैं या नहीं। यही नहीं अधिकारियों ने प्राधिकरण को गलत दस्तावेज पेश कर सब सही भी साबित कर दिया।
दूसरे अधिकारियों के भी मिले होने की आशंका
सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले में प्राधिकरण के दूसरे अफसरों के मिले होने की भी आशंका जताई। ऐसे में एक बार फिर मुआवजा घोटाला की फाइल खुलने की उम्मीद है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद नोएडा अथॉरिटी में हड़कंप मच गया है। इस मामले में पहले सेक्टर-20 थाने में एक महिला अफसर समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
Noida: अथॉरिटी के मुआवजा घोटाले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में आरोपी विधि सलाहकार अधिकारी दिनेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है। विधि सलाहकार अधिकारी दिनेश कुमार के खिलाफ सेक्टर-20 थाने में 11 मामलों में एफआईआर दर्ज किया गया था। जिसके बाद सरकार ने उनके खिलाफ ये कार्रवाई की है।
SIT कर रही मामले की जांच
सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद यूपी सरकार एक्शन में है। नोएडा अथॉरिटी में हुए 82 करोड़ के मुआवजे की जांच एसआईटी कर रही है। एसआईटी की शुरुआती जांच में प्राधिकरण के कई दूसरे अफसरों के नाम भी सामने आए हैं।
क्या है पूरा मामला
नोएडा प्राधिकरण में गेझा तिलतपाबाद गांव के 75 किसानों को करीब 82 करोड़ रुपए से अधिक के मुआवजे बांट दिये गये। क़रीब एक साल पहले मामला उजागर होने पर प्राधिकरण ने जांच बैठाई और एक एफआईआर दर्ज करवाई थी।
Noida: सेक्टर 6 स्थित नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार से डेरा डाल रखा है। 100 करोड़ मुआवजा घोटाला मामले की जांच करने पहुंची एसआईटी ने अभी तक 250 से अधिक फाइलों को खंगाला है। सूत्रों के अनुसार एसआईटी की टीम मुआवज़े की 1500 फाइलों को खंगालेगी।
अधिकारियों और कर्मचारियों से हो सकती है पूछताछ
SIT अध्यक्ष रेवन्यू बोर्ड चेयरमैन हेमत राव अपनी टीम के साथ नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय में जांच कर रहे हैं। यहां मेरठ मंडल कमिश्नर सेल्वा कुमारी, ADG राजीव सब्बरवाल भी मौजूद हैं। सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण की कई अफसरों कर्मचारियों से भी पूछताछ हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट की दिशा निर्देश पर एसआईटी जांच कर रही है। बता दें कि अफसरों और कर्मचारियों ने मिलकर 15 साल में 100 करोड़ का मुआवज़ा घोटाला किया है।
बता दें कि गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से 100 करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा देने के मामले में सरकार ने राजस्व बोर्ड की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया है। इस एसआईटी में तीन अफसर जांच में अहम भूमिका निभाएंगे। सोमवार को एसईटी की टीम ने अथॉरिटी में डेरा डाल दिया है। अथॉरिटी के अफसर जांच टीम की ओर से मांगी गई तमाम जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं, प्राधिकरण के कई अफसरों पर घोटाले में कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
Noida: विशेष जांच दल (एसएआईटी) की टीम के एक्शन के बाद नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में हड़कंप मचा है। मुआवज़ा घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसएआईटी ने नोएडा अथॉरिटी में दस्तावेज खंगालने के बाद अब अफसरों से पूछताछ की तैयारी कर ली है। दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। जिसके बाद मुआवजा घोटाले में 23 अधिकारियों से एसआईटी पूछताछ करने जा रही है। इसे लेकर एसआईटी ने कार्मिक विभाग से संबंधित समय में तैनात रहे अधिकारियों की सूची मांगी थी।
वित्त नियंत्रक से की गई थी पूछताछ
वित्त नियंत्रक एसके गुप्ता से SIT ने पूछताछ के बाद एसआईटी की टीम को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। उस समय के तत्कालीन सीईओ से भी पूछताछ टीम कर सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नियोजन, भूलेख और वित्त के अधिकारियों ने मिलकर 100 करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम दिया है। इस घोटाले का फिलहाल दायरा बढ़ता जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि घोटाले की ये रकम और भी बढ़ सकती है। एक अनुमान के मुताबिक ये घोटाला 100 करोड़ रुपये से कहीं ऊपर का है। फिलहाल एसआईटी की रडार पर प्राधिकरण के 23 अधिकारी हैं। जिन पर घोटाले में शामिल होने का आशंका है।
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