मोदी सरकार की अग्निवीर योजना में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। इन बदलावों को करने की इच्छा खुद भारतीय सेना ने जाहिर की है। दरअसल अग्निवीर योजना को लेकर आर्मी ने इंटरनल सर्वे किया है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताए हैं। इसमें पांच बदलाव की बात सामने आई है। ये पूरी जानकारी सैन्य सूत्रों से मिली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आर्मी के इंटरनल सर्वे में जो पहला पॉइंट है, उसमें अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़ाना है। सेना चाहती है कि चार साल की समाप्ति के बाद भी अग्निवीरों की संख्या 60-70 फीसदी तक बरकरार रखी जाए। वर्तमान स्वरूप में अग्निवीरों का केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही रखा जाएगा। 75 प्रतिशत को लगभग 12 लाख के एकमुश्त भुगतान के साथ जाने दिया जाएगा।

सेवा अवधि और भर्ती की आयु में बढ़ोत्तरी
दूसरा पॉइंट है सेवा अवधि बढ़ाना। इसमें आर्मी सेवा अवधि को भी चार साल से बढ़ाकर सात से आठ साल करना चाहती है। चार साल की वर्तमान अग्निवीर भर्ती में औपचारिक बुनियादी प्रशिक्षण केवल नौ महीने का होता है। शेष प्रशिक्षण कार्य पर तब किया जाता है, जब अग्निवीर को यूनिट में तैनात किया जाता है। तीसरा पॉइंट है तकनीकी क्षेत्रों में भर्ती की आयु बढ़ाना। अभी 17 से 21.5 वर्ष की आयु के बीच अग्निवीरों को रखा जाता है। सेना सिग्नल, एयर डिफेंस और इंजीनियर्स जैसे तकनीकी हथियारों में भर्ती के लिए उम्र सीमा बढ़ाकर 23 साल करने का प्रस्ताव कर रही है। इन हथियारों को उनकी तकनीकी प्रकृति के कारण लंबी प्रशिक्षण अवधि की आवश्यकता होती है। जब तक अग्निवीर किसी तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करता है, तब तक सेवा अवधि समाप्त हो जाती है और उसे जाने देना पड़ता है।


विकलांगता भुगतान और जीवन निर्वाह भत्ता
चौथा पॉइंट है विकलांगता भुगतान और सेवा अवधि समाप्त होने के बाद नौकरी खोजने में सहायता। सेना उन अग्निवीरों के लिए भी अनुग्रह भुगतान चाहती है जो प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हो गए हैं। इसके अलावा एक पेशेवर एजेंसी होनी चाहिए जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भविष्य की नौकरियां खोजने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन दे। इसमें पांचवां और आखिरी पॉइंट है निर्वाह भत्ता। सेना चाहती है कि युद्ध में अग्निवीर की मृत्यु होने पर उसके परिवार के सदस्यों को जीवन निर्वाह भत्ते का प्रावधान भी योजना में शामिल किया जाना चाहिए।