नवरात्रि का पांचवा दिन दुर्गा मां के स्कंदमाता के स्वारुप को समर्पित है। ये दिन संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। हालांकि, अन्य जो भी लोग इस खास दिन पर स्कंदमाता का आराधना करते हैं, उन्हें शक्ति और संतोष प्राप्त होता है। स्कंदमाता का आराधना कैसे की जानी चाहिए, क्या खास मंत्र है और भोग क्या है, चलिए जानते हैं....

पुराणों में कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप

पुराणों में मां स्कंदमाता का स्वरूप बहुत अद्भुत बताया गया है। देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं होती हैं। इसमें देवी के दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय भगवान और एक हाथ अभय मुद्रा में है। देवी स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि माता के इस रूप की पूजा करने से भक्तों को सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस देवी की सच्चे मन से पूजा करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

खास है स्कंदमाता की पूजा विधि

स्कंदमाता का श्रृंगार करते समय खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल मां को खुश करने वाला बताया गया है। रंगों का सही चयन पूजा को सकारात्मकता से भर देता है। साथ रंग के अलावा क्या करना चाहिए, चलिए आपको बताते हैं...

पूजा सामग्री: पूजा में कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फलों का समावेश करें। ये सामग्री देवी मां को समर्पित करने के लिए जरुरी होती है।

चंदन: पूजा के दौरान मां को सबसे पहले चंदन लगाएं।

दीप जलाना: मां के सामने घी का दीपक जलाकर आरती करना न भूलें। इससे मां का आशीर्वाद मिलता है।

भोग: मां को केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

या

देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की पूजा का फल

मां स्कंदमाता को मां दुर्गा के सभी नौ रूपों में सबसे ममतामई कहा गया है। स्कंदमाता की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की असीमित प्राप्ति होती है। साथ ही संतान हीन या संतान की अभिलाषा रखने वालों के लिए इस व्रत का खास महत्व होता है। ऐसा बताया गया है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने या उनसे संबंधित कथा पढ़ने या सुनने मात्र से भी संतान सुख के योग बनते हैं। इसी के साथ ही स्कंदमाता ज्ञान की देवी हैं। इनकी कृपा से मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी हो जाता है। वहीं, कुवांरी लड़कियों द्वारा मां की पूजा करने से विवाह दोष में भी लाभ मिलता है।