लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है। अब पांचवें चरण की टक्कर शुरू हो गई है। वहीं यूपी में जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया राजा भैया ने लोगों से अपील की है, कि लोग अपनी पसंद और विवेक के अनुसार मतदान करें। राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को समर्थन न देने का ऐलान किया है। राजा भैया के इस ऐलान को कौशांबी में बीजेपी के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। आपको बता दें कि इस ऐलान से पहले कौशांबी से बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा सांसद विनोद सोनकर व केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान ने बेंती में कुंडा कोठी पहुंचकर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से मुलाकात की थी।

सपा ने पुष्पेंद्र को बनाया अपना उम्मीदवार
वहीं अगर बात करें कौशांबी लोकसभा सीट की तो सपा ने यहां से पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। पुष्पेंद्र को राजनीति के खेल का नया खिलाड़ी कहा जा रहा है। एक तरह से कह सकते है कि पुष्पेंद्र का सक्रिय राजनीति एंट्री हो रही है। माना जाता है सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के सियासी जमीन को देखते हुए पुष्पेंद्र को टिकट दिया है। इंद्रजीत कई चुनाव लड़ चुके हैं, सियासी दांव पेंच और समीकरण सेट करने का उनके पास अच्छा खासा अनुभव भी है।

कौशांबी लोकसभा सीट का सियासी गणित
प्रतापगढ़ तक फैला कौशांबी निर्वाचन क्षेत्र 2008 में अस्तित्व में आया था। कौशांबी लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट का गठन प्रतापगढ़ जिले की दो विधानसभाओं और कौशांबी जिले को मिलाकर वर्ष 2008 में किया गया था। फिलहाल यहां से बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर सांसद हैं लेकिन सीट पर रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ का काफी राजनीतिक दखल है। यहां पहली बार वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव हुए थे और समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार सांसद बने थे। इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी से विनोद कुमार सोनकर उतरे। मोदी लहर में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के शैलेन्द्र कुमार पासी को 42,900 वोटों से पराजित कर विजयी बने। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने विनोद सोनकर पर फिर भरोसा जताया और उन्हें उम्मीदवार घोषित किया। विनोद सोनकर ने 3.83 लाख वोट पाकर चुनाव जीत लिया है। सपा के इंद्रजीत सरोज 3.44 लाख वोट पाकर दूसरे स्‍थान पर रहे।