यूपी में कल दूसरे चरण की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है। इन आठ सीटों में गौतमबुद्धनगर सीट भी शामिल है। इस सीट से जीत के लिए भाजपा, सपा, बसपा ने विकास के मुद्दे पर अपना प्रचार शुरू किया था। किसी ने पिछले 10 साल का विकास और निवेश का हवाला दिया। तो कोई प्रत्याशी 10 साल पहले किए गए विकास पर दम भरता दिखा। कोई यह आरोप लगाता रहा कि अमुक पार्टी तो सिर्फ उद्घाटन की पार्टी है। तो वही प्रचार ती रफ्तार पकड़ते ही भ्रष्टाचार व स्थानीय मुद्दों ने भी जगह ली। लेकिन कल करीब 26 लाख वोटर अपना फैसला करेंगे कि उन्हें किस पार्टी को दरकिनार करना है और किसे सत्ता की बागडोर सौंपनी है।
करीब 26 लाख वोटरों वाली इस सीट पर गुर्जर और ठाकुर का वर्चस्व ज्यादा
सपा ने गुर्जर वोटों को साधने के लिए डॉ. महेंद्र नागर को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने ठाकुरों को लुभाने के लिए राजेंद्र सोलंकी पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा सर्वण समाज के वोटों को हासिल करने के लिए मौजूदा सांसद और प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा पर भरोसा जताया है। करीब 26 लाख वोटरों वाली इस सीट पर गुर्जर और ठाकुर का वर्चस्व ज्यादा है। ब्राह्मण वोटरों का भी एक छत्र इस सीट पर कब्जा है, हालांकि यहां हमेशा ठाकुर वोटर ही निर्णायक की भूमिका में रहे हैं। वहीं राजपूत समाज की भाजपा से नाराजगी भी देखी गई है। पिछले दिनों राजपूत समाज ने इसको लेकर एक बड़ी पंचायत भी की थी, जिसमें राजपूत समाज ने भाजपा का जमकर विरोध जताया था। इसको देखते हुए इस बार भाजपा के लिए ये सीट चुनौती बन सकती है।
सपा की साइकिल को मिलेगी रफ्तार या बीजेपी मारेगी बाजी
बसपा प्रमुख मायावती का इस सीट से गहरा नाता रहा है। मायावती का ग्रेटर नोएडा में बादलपुर पैतृत्व गांव है। इस लिहाज से बसपा प्रमुख मायावती का गौतमबुद्धनगर गृह जनपद भी है, लेकिन पिछले दो बार के चुनाव में बसपा को यहां केवल हार ही मिली है। इसके पीछे की वजह ब्राह्मण से नाराजगी बताई जा रही है। भाजपा और बसपा का समीकरण देखने के बाद सपा का इस सीट पर खुश होना लाजमी है। सपा ने जिस प्रत्याशी को यहां से उतारा है उसका गुर्जर समाज में खासी पैठ बताई जा रही है। हालांकि ये तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि इस बार साइकिल दौड़ेगी या फिर मायावती को पैतृक गांव का फायदा मिलेगा या फिर सबको पछाड़ कर बीजेपी एक बार फिर अपना परचम फहराएगी।
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