यूपी के उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच तनातनी मची हुई है. इस बात से पर्दा तो बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में ही चल गया था, मगर अब ये कलह दोनों नेताओं के बीच से निकलकर सरकारी दफ्तरों तक जा पहुंची है. जी हां, अगर हम ये कहें कि उपमुख्यमंत्री अब मुख्यमंत्री के खिलाफ ठोस सबूत की तलाश में है तो ये बिल्कुल गलत नहीं होगा. दरअसल उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग को पत्र लिखा है. डिप्टी सीएम ने नियुक्ति और कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आरक्षण का ब्यौरा मांगा है.

अगस्त 2023 में भी लिख चुके हैं डिप्टी सीएम पत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर केशव प्रसाद मौर्य ने आउटसोर्सिंग या संविदा पर काम कर रहे कुल कर्मचारियों का ब्यौरा मांगा है. पत्र में डिप्टी सीएम ने लिखा, "मैंने 11 अगस्त 2023 में इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाया था और अधिकारियों से जानकारी चाही थी. 16 अगस्त 2023 को उन्होंने पत्र लिखा था, लेकिन जानकारी ना मिल पाने के कारण एक बार फिर पत्र लिखा और अधिकारियों को आदेशित किया कि शासनादेश के अनुसार समस्त विभागों को सूचीवार एकत्र करके, संकलित कर अवलोकनार्थ प्रस्तुत करें." हालांकि, ये कोई पहला पत्र नहीं है इससे पूर्व (अगस्त, 2023) में भी केशव मौर्य उक्त विभाग को पत्र लिख चुके हैं. तब भी उन्होंने आउटसोर्सिंग और संविदा से जुड़ी जानकारी मांगी थी.

पार्टी की अंदरूनी खींचतान के बाद चर्चा में लेटर
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार और संगठन के बीच अंदरूनी खींचतान के बीच डिप्टी सीएम मौर्य का यह लेटर चर्चा में आ गया है. हाल ही में संगठन और सरकार के बीच मतभेद सामने आए थे. हालांकि उसके बाद केशव मौर्य को दिल्ली बुलाया गया था और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे मुलाकात की थी. करीब एक घंटे तक चली इस मीटिंग में संगठन और सरकार के बीच तनाव को कम करने की चर्चा हुई थी. नड्डा की ओर से कहा गया कि ऐसी बयानबाजी नहीं होनी चाहिए, जिससे पार्टी की छवि का नुकसान हो.